देश के पश्चिमी भाग में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हालात को अतिसंवेदनशील बताते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि हर हफ्ते घुसपैठ के प्रयास होते हैं और लगता है कि नेपाल एवं बांग्लादेश के नये रास्ते खुल गये हैं.
चिदंबरम ने आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में कहा, ‘मैंने आगाह किया है कि जब भी कभी मौका मिलता है, (आतंकवादी) आतंक फैलाने के प्रयासों में कोई कमी नहीं है.’ उन्होंने कहा कि 2011 में दो बडे़ आतंकवादी हमले हुए. मुंबई में जुलाई में और दिल्ली उच्च न्यायालय के पास सितंबर में. इन हमलों के सिलसिले में कई संदिग्ध गिरफ्तार किये गये हैं. हैरत में डालने वाली बात यह है कि दोनों ही मामलों के मुख्य संदिग्ध भारतीय नागरिक हैं. उन्होंने कई राज्यों में अपनी गतिविधियां चलायीं और उनमें से कई का पहले का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है.
चिदंबरम ने हालांकि बताया कि 2011 के दौरान आतंकवाद के 18 माडयूल ध्वस्त किये गये और 53 लोगों को गिरफ्तार किया गया. 2012 के पहले तीन महीनों में तीन माडयूल ध्वस्त किये गये और 11 लोग गिरफ्तार किये गये.
वामपंथी उग्रवाद के बारे में गृहमंत्री ने बताया कि प्रभावित जिलों में नक्सल हिंसा में मारे जाने वाले लोगों की संख्या में गिरावट आयी है.
उन्होंने कहा, ‘असम माओवादी गतिविधियों का नया केन्द्र बनकर उभरा है. ऐसी खबरें भी हैं कि भाकपा-माओवादी के मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के उग्रवादी संगठनों से संबंध हैं.’