भारतीय विदेश सचिव रंजन मथाई ने अपनी पहली द्विपक्षीय अमेरिका यात्रा समाप्त की. इस दौरान उन्होंने अमेरिकी पाबंदियों को दरकिनार करते हुए ईरान से तेल खरीदते रहने पर भारत के जोर देने, चीन पर समान विचार साझा करने, अफ-पाक हालात और तालिबान के साथ शांति वार्ता जैसे मुद्दों पर अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत की.
सूत्रों ने कहा कि वाशिंगटन में मथाई की तीन दिन की यात्रा के दौरान अमेरिकी अधिकारियों से उनकी मुलाकातों में मालदीव में राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद के इस्तीफे के बाद बने गंभीर हालात और अरबों के जेट सौदे पर भी बातचीत हुई. उन्होंने कहा कि असैन्य परमाणु करार को लागू करने, आगामी भारत-अमेरिका रणनीतिक वार्ता तथा वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दों के समान रोडमैप बनाने जैसे विषय भी चर्चा का हिस्सा रहे.
उप विदेश मंत्री विलियम बर्न्स से मथाई की बैठक के दौरान कुछ देर के लिए पहुंचकर विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने भारत.अमेरिका के बीच रिश्तों को दी जा रही अहमियत प्रदर्शित की.
भारतीय विदेश सचिव और उनकी अमेरिकी समकक्ष विंडी शरमैन के बीच मंगलवार को फॉगी बॉटम मुख्यालय में बातचीत चार घंटे से अधिक समय तक चली.
मथाई और उनके साथ गये राजनयिकों के दल ने मंगलवार को अधिकतर समय विदेश विभाग में बिताया. इसके अलावा उन्होंने व्हाइट हाउस में ओबामा के राष्ट्रीय सुरक्षा दल के अधिकारियों से बातचीत की. मथाई ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत मार्क ग्रॉसमैन से भी भेंट की और उनसे तालिबान के साथ हाल ही में हुई शांति वार्ता पर गुफ्तगू की.
भारत और अमेरिका के रिश्तों में ईरान का मुद्दा उम्मीद के मुताबिक थोड़ा तनाव वाला रहा. मथाई और उनके साथ गये प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर कैपिटल हिल में अमेरिका के वरिष्ठ सांसदों से मुलाकात की.
एक तरफ ओबामा प्रशासन के अधिकारियों में ईरान से तेल का आयात नहीं रोकने की भारत की बाध्यताओं पर समझ का भाव दिखा वहीं समझा जाता है कि कई वरिष्ठ सांसदों ने कठोरता से मथाई का प्रतिरोध किया और उनकी दलीलों से सहमत होते नहीं दिखे.
सूत्रों ने कहा कि मथाई ने ईरान के साथ रिश्तों के लिए अफगानिस्तान के पहलू का भी जिक्र करते हुए कहा कि यदि नयी दिल्ली को अफगानिस्तान में विकास कार्यों को जारी रखना है तो उसे तेहरान के साथ अच्छे संबंध बनाये रखने की जरूरत है. अमेरिका ने अफगानिस्तान में भारत के विकास कार्यों की सराहना की है.
चीन के उप राष्ट्रपति शी जिंगपिंग की अगले सप्ताह होने वाली अमेरिका यात्रा से पहले भारत और अमेरिका के अधिकारियों ने इस बात पर भी काफी विचार विमर्श किया कि क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव पर कार्रवाई का समान तौर तरीका कैसे विकसित किया जाए. उन्होंने चीन के साथ अपने अपने द्विपक्षीय संबंधों पर भी विचार साझा किये.
विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया नुलैंड ने संवाददाताओं से कहा, ‘बातचीत में एक तरह से हर वह मुद्दा था जो भारत के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय एजेंडे में शामिल है.’ जिन विषयों पर चर्चा हुई उनमें आतंकवाद व उग्रवाद से लड़ने में सहयोग, महत्वपूर्ण असैन्य परमाणु करार, साझा ऊर्जा सुरक्षा हित, न्यू सिल्क रोड पर क्षेत्रीय व आर्थिक एकीकरण और अफ्रीका, पूर्व एशिया तथा पश्चिम एशिया में दोनों के संयुक्त हित शामिल हैं.
नुलैंड ने कहा, ‘हम भारतीय विदेश सचिव मथाई की मेहमाननवाजी करते हुए खुश हैं. उन्होंने यहां पूरे दिन व्यापक वार्ताएं कीं. उप विदेश मंत्री बर्न्स के साथ उनकी बैठक के दौरान विदेश मंत्री हिलेरी भी कुछ देर के लिए पहुंचीं.’ विदेश विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम 2012 के लिए महत्वाकांक्षी और सकारात्मक द्विपक्षीय एजेंडे पर काम करना चाहते हैं, जिसमें अमेरिका-भारत रणनीतिक वार्ता और सीईओ फोरम की सतत बैठकें, उच्च शिक्षा शिखरवार्ता, गृह सुरक्षा वार्ता के अलावा अन्य कैबिनेट स्तर के कामकाज शामिल हों.