ईरान के संसदीय चुनावों के अंतिम चरण में राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद को बड़ा झटका लगा है क्योंकि उनके विरोधियों ने ज्यादातर स्थानों पर जीत दर्ज कर ली है. ईरान में शुक्रवार को बड़े पैमाने पर मतदान हुआ था. लोग विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम को लेकर पश्चिमी देशों के साथ टकराव मोल रहे मजहबी नेतृत्व के समर्थन में घरों से बाहर निकले और मतदान में हिस्सा लिया.
अहमदीनेजाद के विरोधियों ने 65 में से 20 सीटें जीती हैं, जबकि उनके समर्थक महज आठ सीटें ही जीत पाए हैं. निर्दलियों ने 11 स्थानों पर जीत दर्ज की है. अभी कई स्थानों के नतीजे नहीं आए हैं. तेहरान में 9 सीटों पर अहमदीनेजाद समर्थकों के जीतने की उम्मीद है. यहां उनके विरोधी 16 सीटें हासिल करने की उम्मीद कर रहे हैं.
अहमदीनेजाद के कंजरवेटिव प्रतिद्वंद्वी मार्च में हुए पहले चरण के मतदान के जरिए 290 सदस्यीय विधानसभा में पहले ही बहुमत हासिल कर चुके हैं. अंतिम चरण का चुनाव तो बस उनकी इस जीत को पक्का करने का का एक जरिया मात्र माना जा रहा है.
मेहर एजेंसी के मुताबिक, शुक्रवार को तेहरान के 10 लाख मतदाताओं समेत कुल 50 लाख से भी ज्यादा लोगों ने मतदान किया. कई मतदान स्थलों से आए नतीजों के मुताबिक तेहरान में अहमदीनेजाद के समर्थक और प्रतिद्वंद्वियों में बराबरी की टक्कर है. इन नतीजों से लगता है कि 2013 में खत्म होने वाले अपने दूसरे कार्यकाल के बचे हुए समय में अहमदीनेजाद को संसद में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.
अहमदीनेजाद को उनके इस दूसरे कार्यकाल के लिए 2009 में चुना गया था लेकिन अप्रैल 2011 में प्रमुख राजनेता अयातुल्ला अली खामेनी का विरोध करने और राष्ट्रपति कार्यालय का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के प्रयास के बाद अहमदीनेजाद के राजनीतिक कद में काफी गिरावट आई. अपनी पत्नी आजम फराही के साथ वोट डालने के बाद अहमदीनेजाद संवाददाताओं को कोई प्रतिक्रिया दिए बिना ही निकल गए.
नई संसद के सत्र मई के अंत में शुरू हो जाएंगे. ईरानी संसद का ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कोई सीधा नियंत्रण नहीं है लेकिन यह खामेनी की नीतियों को समर्थन देकर अहमदीनेजाद के बाद के राष्ट्रपति और अन्य उच्चाधिकारियों के चुनाव को प्रभावित कर सकती है. ईरानी नेताओं ने मतदाताओं की संख्या में भारी वृद्धि देखी है.
अधिकारिक रूप से, पहले चरण में 64 प्रतिशत मतदान होना राजकीय व्यवस्था द्वारा कराए गए चुनावों के प्रति विश्वास और परमाणु मुद्दे पर पश्चिमी देशों के दबाव को नकारने का प्रतीक है. पश्चिमी देशों को संदेह है कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है, इसलिए वह ईरान से यूरेनियम संवर्धन रोकने की मांग करते रहे हैं. ईरान यह कहकर परमाणु कार्यक्रमों को रोकने से इनकार कर चुका है कि उसका यह कार्यक्रम बिजली उत्पादन और कैंसर के इलाज के लिए है.
राज्य के एक टीवी चैनल से खामेनी ने कहा, ‘मेरी राय है कि लोग अंतिम चरण के चुनावों को भी पहले चरण के चुनावों की तरह संजीदगी से लें.’