क्रिकेट के मैदान पर दूसरी पारी खेलने को तैयार विश्व कप के मैन आफ द टूर्नामेंट युवराज सिंह अब प्रदर्शन के बारे में ज्यादा नहीं सोचते. कैंसर से जंग जीतने के बाद इस जुझारू खिलाड़ी का जिंदगी और क्रिकेट के प्रति नजरिया अब बदल गया है.
भारत को 28 बरस बाद विश्व कप दिलाने वाले युवराज खुद इस बदलाव को स्वीकार करते हैं. उन्होंने बताया, ‘अब मैं यह नहीं सोचता कि क्रिकेट में मेरी दूसरी पारी कैसी होगी. खेल के प्रति मेरा नजरिया बदल गया है. जिस दिन मैं भारत की जर्सी फिर पहनकर मैदान पर लौटूंगा, वह दिन मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा दिन होगा.’
विश्व कप 2011 के मैन आफ द टूर्नामेंट रहे युवराज ने कहा, ‘मैं अब अपने प्रदर्शन के बारे में ज्यादा नहीं सोचता. मैं अच्छा खेलना चाहता हूं लेकिन भविष्य में जो होगा, उसके बारे में अब सोचता नहीं.’ कुछ महीने पहले व्हीलचेयर का सहारा लेने वाले इस जुझारू खिलाड़ी ने पिछले दिनों बेंगलूर में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी पर नेट पर वापसी की. नेट पर बिताये पहले दिन को लेकर वह काफी भावुक हो गए.
युवराज ने कहा, ‘किसी ने सोचा नहीं था कि मैं एक दिन क्रिकेट के मैदान पर लौटूंगा. जिस दिन बैंगलोर में नेट पर मैने पहले दिन अभ्यास किया, शाट लगाये ,मैं बता नहीं सकता कि कैसा महसूस कर रहा था. व्हीलचेयर से मैदान पर जाना मेरे लिये बड़ी उपलब्धि थी. चार से छह महीने मैं बिस्तर पर रहा हूं और मैं ही जानता हूं कि मैदान पर जाकर कैसा महसूस हुआ.’
छह महीने बाद नेट पर लौटे युवराज ने बताया कि नेट पर शुरूआत में वह डर जाते थे कि गेंद से चोट ना लग जाये. उन्होंने कहा कि इस घबराहट को निकालने में उन्हें थोड़ा समय लगेगा. नेट पर अपने अनुभव के बारे में उन्होंने कहा, ‘पहले कुछ दिन मांसपेशियों में काफी दर्द रहा. मेरा शरीर अभी 55 प्रतिशत तैयार है. मैं गेंद को अच्छी तरह पीट रहा हूं, कैचिंग और गेंदबाजी भी दुरुस्त है. आंख और हाथ का तालमेल अच्छा है हालांकि पैरों की मूवमेंट अभी धीमी है.’
उन्होंने कहा, ‘अच्छा बदलाव यह आया है कि अब मैं थकता नहीं. उम्मीद है कि दो महीने बाद टी-20 विश्व कप के जरिये फिर से मैदान पर लौट सकूंगा.’ भारत के सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षकों में शुमार रहे युवराज रोजाना पांच से छह घंटे अभ्यास कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि उनका फोकस स्टेमिना पहले की तरह बनाने पर है. यह पूछने पर कि अपने खेल में वह क्या बदलाव महसूस कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि अभी इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा, ‘अभी मैं बता नहीं सकता कि मैं किस तरह खेलूंगा. समान परिस्थितियों में कैसा प्रदर्शन करूंगा. अभी इस बारे में कहना जल्दबाजी होगा. मैं खुद नहीं जानता.’
वापसी के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘टी-20 विश्व कप यथार्थवादी लक्ष्य है. उससे पहले हालांकि न्यूजीलैंड के खिलाफ दो टी-20 मैच होने हैं और मैं चाहता हूं कि उनमें खेलूं. सीधे सितंबर में विश्व कप खेलने से पहले ये दो मैच खेलना बेहतर होगा.’ अमेरिका में उपचार के दिनों को याद करके अभी भी युवराज के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. आलम यह था कि उन्हें यह याद नहीं रहता था कि दिन या साल कौन सा है. यही नहीं खून देखकर आजिज आ चुके युवराज को लाल रंग से नफरत हो गई थी.
उन्होंने बताया, ‘कीमोथेरेपी के दौरान मैं एक बार तो यह भूल ही गया कि यह 2012 है. मुझे लगा कि विश्व कप अभी हुआ नहीं है. यह कीमोथेरेपी का असर था. इसके अलावा मैने इतना खून देखा है कि मुझे लाल रंग से नफरत हो गई जबकि यह मेरा पसंदीदा रंग था.’
कैंसर से जंग के दौर में सांस लेने में परेशानी झेलने वाले युवराज को सुकून है कि वह आम आदमी की तरह जी पा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘मुझे सांस लेने में काफी तकलीफ होती थी लेकिन अब दोनों फेफड़ों से सांस ले रहा हूं. समोसा खा रहा हूं. कीमोथेरेपी के दौर में खाना देख सकता था, सूंघ सकता था लेकिन खा नहीं पाता था. भगवान का शुक्र है कि मैं सामान्य आदमी की तरह जी पा रहा हूं.’
अपनी ‘पार्टी एनिमल’ की छवि के लिये बदनाम रहे युवराज अब काफी अनुशासित हो गए हैं और ईश्वर में उनकी आस्था बढ़ी है. उनके भीतर का बदलाव दिखाई देता है. इस बारे में युवराज ने कहा, ‘मैं अनुशासित हो गया हूं क्योंकि मुझे होना ही पड़ेगा. यह बात और है कि मेरा कमरा अभी भी साफ नहीं रहता. मैं पहले से अधिक मजबूत हुआ हूं और अब रोज इस जिंदगी के लिये भगवान को शुक्रिया कहता हूं.’