चुनाव आयोग के नोटिस पर सलमान खुर्शीद ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘नोटिस मिली है, फांसी का आदेश नहीं’. दरअसल, मुसलमानों के लिए 9 फीसदी का आरक्षण का वादा करने के कारण विवादों से घिरे कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और पत्नी लुईस खुर्शीद को चुनाव आयोग ने मंगलवार को कारण बताओ नोटिस थमा दिया था.
भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने सांसद मुख्तार अब्बास नकवी के नेतृत्व में मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी से मुलाकात कर खुर्शीद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.
नकवी ने कहा कि धर्म के नाम पर वोट मांगना चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है. खुर्शीद ने इस आरोप को खारिज कर दिया और कहा कि वह अपने पार्टी के घोषणा पत्र का हवाला दे रहे थे.
कानून मंत्री ने फर्रूखाबाद में अपनी पत्नी लुईस खुर्शीद के लिए प्रचार करते हुए मतदाताओं से वादा किया कि चुनाव में अगर उनकी पार्टी राज्य में सत्ता में आती है तो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के मौजूदा 27 फीसदी कोटे में से पिछड़े मुसलमानों के लिए कोटा को बढा कर 9 फीसदी किया जायेगा.
फर्रूखाबाद के जिला निर्वाचन अधिकारी सच्चिदानंद दुबे ने बताया कि लुईस खुर्शीद को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. कानून मंत्री के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए बीजेपी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी से मुलाकात कर उनसे इस बारे में कार्रवाई करने की मांग की.
उधर, इस मामले पर चुनाव आयोग के नोटिस पर कांग्रेस ने रक्षात्मक रुख अख्तियार कर लिया है.
पार्टी प्रवक्ता राशिद अलवी ने कहा, ‘चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है. हम उसकी ओर से लिए गए हर फैसले का सम्मान करते हैं. हम इस आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 2009 के आम चुनाव में कांग्रेस ने पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण देने और सच्चर कमिटी एवं रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशों को पूरा करने का वादा किया था.