राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम पर जारी बहस अब NDA के लिए जी का जंजाल बन गया है. बात राष्ट्रपति की उम्मीदवारी से आगे बढ़ चुकी है और अब लोकसभा चुनाव 2014 के लिए पहले से ही किसी सेक्यूलर उम्मीदवार का नाम घोषित किए जाने की मांग एनडीए के घटक दलों के भीतर होने लगी है.
एनडीए के घटक दल जेडीयू ने यह साफ कर दिया है कि अगर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए नाम आगे किया जाता है, तो वह गठबंधन से खुद को अलग कर लेगा. मजेदार बात यह है कि इस मसले पर शरद यादव कुछ भी बयान देने से मना कर दिया है.
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार के अनुसार अगर बीजेपी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए नाम आगे लाती है तो जेडीयू गठबंधन के साथ नहीं रहेगा. कुछ इसी लहजे में जेडीयू के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी का भी बयान आया. शिवानंद का कहना था कि हम अपने सिद्दांतों से समझौता नहीं करने वाले हैं.
इससे पहले नीतीश कुमार का एक नया बयान आया, जिसमें कहा गया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चाहते थे कि नरेंद्र मोदी राजधर्म का पालन करें और अपने पद से इस्तीफा दें.
नीतीश कुमार ने अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल की तारीफ करते हुए कहा है कि अटल जी के मंत्रिमंडल में मैं भी शामिल था और अटल जी एक उदारवादी प्रधानमंत्री थे.
नीतीश कुमार ने एक अंग्रेजी अखबार में दिए गए साक्षात्कार में कहा था कि एनडीए को चाहिए कि वह लोकसभा चुनाव 2014 के लिए अभी से किसी सेक्यूलर प्रधानमंत्री के नाम की घोषणा कर दे. सारा बवाल यहीं से शुरू हो गया. इसके बाद बीजेपी की ओर से बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने नीतीश कुमार के बयान का समर्थन किया, लेकिन उन्हीं की पार्टी के नेता गिरिराज सिंह ने नीतीश के बयान पर सवाल उठा दिए.
अब देखना यह है कि इस बवाल पर लगाम लगाने के लिए एनडीए क्या कदम उठाती है. राष्ट्रपति पद के साथ-साथ प्रधानमंत्री पद के लिए भी उम्मीदवार की घोषणा कर पाती है या नहीं.