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जारवा जनजाति मामले में केस दर्ज

जारवा जनजाति की महिलाओं का वीडियो तैयार करने और जारी करने के मामले में अंडमान पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया.

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जारवा जनजाति
जारवा जनजाति

जारवा जनजाति की महिलाओं का वीडियो तैयार करने और जारी करने के मामले में अंडमान पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया.

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अंडमान निकोबार द्वीप समूह में जारवा आदिवासी महिलाओं को अर्धनग्न दिखाने वाले वीडियो फुटेज से खासा विवाद पैदा हो गया. इन महिलाओं को पर्यटकों के सामने नृत्य के लिए कथित रूप से बाध्य किया गया है. इसके बाद केंद्र सरकार ने अंडमान निकोबार प्रशासन से इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया है.

प्रारंभिक रपट में प्रशासन ने कहा है कि वह उस वीडियोग्राफर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा, जिसने पर्यटकों के सामने आदिवासियों को नृत्य के लिए उकसाया. इस बारे में ब्रिटेन के अखबार आब्जर्वर ने खबर छापी, जिसके बाद विवाद उठ खडा हुआ.

जारवा आदिवासियों में केवल 403 जीवित लोग बचे हैं, जो दक्षिण अंडमान के सुरक्षित जंगलों में रहते हैं.

इस बीच केन्द्रीय गृह सचिव आर के सिंह ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव शक्ति सिन्हा को निर्देश दिया है कि वह जारवा आदिवासियों के उत्पीड़न की खबरों को लेकर भलीभांति जांच करें.

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सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने उनसे (सिन्हा से) कहा है कि वह जांच कर सच्चाई का पता लगायें और सुनिश्चित करें कि भविष्य में इस तरह की कोई घटना न होने पाये.’ उधर सरकारी सूत्रों ने बताया कि वीडियो फुटेज चार से पांच साल पुराना लगता है. वीडियो की प्रामाणिकता का पता लगाने के लिए गृह मंत्रालय ने इसे एक प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा है. अंडमान प्रशासन ने एक बयान में कहा है कि जारवा आदिवासियों के एक समूह का पर्यटकों के छोटे समूह के साथ अंडमान ट्रंक रोड पर आमना सामना हुआ. पर्यटक जारवा के रिहाइश वाले क्षेत्र में नहीं गये थे.

वीडियो में नजर आ रहे वर्दीधारी व्यक्ति की पहचान नहीं हो सकी है लेकिन यह स्पष्ट है कि वह अंडमान निकोबार पुलिस से नहीं है.

बयान में कहा गया, ‘प्रशासन को पता है कि पूर्व में कुछ लोगों और संगठनों ने पर्यटकों को जारवा पर्यटन की अवधारणा समझाकर आकर्षित करने की कोशिश की थी.’ प्रशासन ने कहा कि जारवा लोगों को विकास के लिए और अधिक भौगोलिक जगह और उन्हें गलत तत्वों के उत्पीडने से बचाने की जरूरत को मानते हुए उसने उनकी रिहाइश के इलाके को 2004 में बढाकर 1028 वर्ग किलोमीटर कर दिया जो पहले 847 वर्ग किलोमीटर था.

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गृह मंत्री पी चिदंबरम 21 और 22 जनवरी को द्वीप के दौरे पर जा रहे हैं और इस दौरान वह वहां के अधिकारियों को संभवत: निर्देश देंगे कि भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति रोकने के उपाय सुनिश्चित किये जाएं.

आदिवासी मामलों के मंत्री वी किशोर चंद्र देव ने कहा कि इस प्रकरण के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कडी कार्रवाई की जाएगी.

विकास कार्यों की समीक्षा के लिए अंडमान निकोबार जा रहे चिदंबरम की स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान जारवा आदिवासी महिलाओं के कथित उत्पीड़न का मुद्दा उठने की संभावना है और गृह मंत्री इस तरह की घटनाओं की भविष्य में पुनरावृत्ति रोकने के उपाय सुनिश्चित करने का निर्देश दे सकते हैं. अंडमान पुलिस द्वीप में तैनात सैन्य बलों की मदद से उस व्यक्ति की पहचान करने की कोशिश कर रही है, जो वीडियो में पुलिस की वर्दी में नजर आ रहा है. इस संबंध में खबर देने वाले लंदन के अखबार आब्जर्वर से कहा गया है कि वह वीडियोग्राफर का नाम बताये ताकि उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके.

मंत्रालय ने अंडमान निकोबार प्रशासन से इस संबंध में जवाबतलब किया है और पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है.

मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि जारवा आदिवासी महिलाओं को पर्यटकों के सामने जबरन नृत्य करने को कहा गया. अधिकारी ने बताया कि अंडमान निकोबार प्रशासन को यह पता लगाने का निर्देश दिया गया है कि वीडियो कब बनाया गया, आदिवासी कैसे बाहरी व्यक्तियों के संपर्क में आये जबकि जारवा आदिवासी किसी से घुलते मिलते नहीं हैं. साथ ही यह पता लगाने के लिए भी कहा गया है कि उनके उत्पीडन के जिम्मेदार लोग कौन हैं.

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संघशासित क्षेत्र होने के नाते अंडमान निकोबार प्रशासन सीधे केन्द्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करता है. प्रशासन ने इस संबंध में आयी मीडिया खबरों को निहायत ही गैर जिम्मेदाराना खबरें करार देते हुए कहा है कि यह स्पष्ट नहीं है कि वीडियो क्लिप किस साल बनाई गयी. किशोर चंद्र देव ने बताया कि इस मामले की जांच के आदेश दे दिये गये हैं और जांच कार्य का नेतृत्व अंडमान निकोबार के मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘वे गृह मंत्रालय को रिपोर्ट कर रहे हैं और आदिवासी मामलों के मंत्रालय के भी संपर्क में हैं.’

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