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कालेधन पर पैर खींच रही है संप्रग सरकार: यशवंत सिन्हा

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने सोमवार को आरोप लगाया कि संप्रग सरकार कालेधन के मुद्दे पर अपने पैर खींच रही है.

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यशवंत सिन्हा
यशवंत सिन्हा

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने सोमवार को आरोप लगाया कि संप्रग सरकार कालेधन के मुद्दे पर अपने पैर खींच रही है.

सिन्हा ने कहा कि संप्रग सरकार अपराधियों को बचाने के लिए अभियोजन प्रक्रिया शुरू नहीं कर रही है.

उन्होंने कहा कि सरकार के इस रूख को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि अपराधियों के नामों का खुलासा करने में द्विपक्षीय समझौते आड़े आ रहे हैं.

भाजपा नेता ने कहा कि अगर वर्ष 2014 लोकसभा चुनावों में राजग गठबंधन सत्ता में आता है तो विदेशी बैंकों में कालाधन जमा करने वालों की पहचान सार्वजनिक की जाएगी.

सिन्हा ने कहा, ‘हम सरकार के इस नजरिये से सहमत नहीं हैं कि द्विपक्षीय समझौते उसे नामों का खुलासा करने से रोक रहे हैं. यह सरकार की तरफ से की गयी इस मामले की व्याख्या है.’

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पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ‘दूसरी बात यह है कि यदि सरकार की खुद की व्याख्या के अनुसार देखा जाए तो यह मानना होगा कि अगर (आरोपियों के खिलाफ) अभियोजन शुरू होता है तो ये नाम खुद ब खुद सार्वजनिक हो जाएंगे.’ उन्होंने कालेधन के मुद्दे पर सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा किया. सिन्हा ने सरकार से इस सवाल का जवाब मांगा कि छह महीने पहले फ्रांस से जिन 700 लोगों के खिलाफ जानकारी मिली है, उनके खिलाफ अभियोजन शुरू करने से उसे क्या बात रोक रही है.

सिन्हा ने कहा, ‘कारण बताओ नोटिस देने के बाद अभियोजन शुरू क्यों नहीं किया गया है? कहीं न कहीं हमें लगता है कि सरकार इस मुद्दे पर अपने पैर खींच रही है.’ उन्होंने कहा कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो इन नामों का खुलासा किया जाएगा.

टूजी स्पैक्ट्रम घोटाले में गृह मंत्री पी चिदंबरम पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी ‘बहुत बड़ी जिम्मेदारी’ थी क्योंकि प्रधानमंत्री भी उनके साथ हैं और चिदंबरम ने 2जी स्पैक्ट्रम आवंटन के मुद्दे और इसके दामों के संबंध में राजा के साथ सहमति जताई थी.

उन्होंने कहा, ‘चिदंबरम राजा से भी ज्यादा दोषी हैं क्योंकि उनकी ज्यादा जिम्मेदारी थी और प्रधानमंत्री ने खुद कहा था कि वह चिदंबरम के साथ थे क्योंकि वह (स्पैक्ट्रम के दामों पर राजा के साथ) सहमत थे.’ सिन्हा ने कहा कि चिदंबरम को जिम्मेदारी साझा करनी चाहिए क्योंकि वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने राजा के साथ सहमति जताई थी.

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हजारीबाग से सांसद ने कहा कि वह यह बात संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य के तौर पर नहीं बल्कि दस्तावेजों के आधार पर स्वतंत्र पर्यवेक्षक के रूप में कह रहे हैं.

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