केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम का समर्थन करते हुए द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने उच्च न्यायालय के उस आदेश के मद्देनजर उनके इस्तीफे की मांग किए जाने की आलोचना की जिसमें लोकसभा चुनाव में उनके निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने की मांग करने वाली उनकी याचिका को निरस्त कर दिया था.
करुणानिधि ने कहा कि आरोपों के बिना किसी संदेह की गुंजाइश के साबित हुए बिना इस तरह की मांग उचित नहीं होगी.
करुणानिधि ने चिदंबरम का इस्तीफा मांगने वाली तमिलनाडु की मुख्यमंत्री को उल्टे याद दिलाया कि वह खुद पूर्व में अदालती मामलों में उलझी रही हैं और आय से अधिक संपत्ति का मामला उनके खिलाफ अब भी लंबित है लेकिन उन्होंने अब तक पद नहीं छोड़ा है.
पार्टी के मुखपत्र ‘मुरासोली’ में करुणानिधि ने कहा, ‘कानूनी प्रावधानों के अनुसार किसी व्यक्ति के खिलाफ आरोप लगने के तुरंत बाद उससे इस्तीफा मांगना उचित नहीं होगा.
उचित जांच अवश्य होनी चाहिए और आरोप बिना किसी संदेह की गुंजाइश के साबित होने चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘चुनाव से जुड़े मामले में आधी-अधूरी कार्रवाई की अनुमति नहीं है. जयललिता और अन्य लोगों की मांग के अनुसार फैसला सुनाए जाने के पहले ही अगर किसी व्यक्ति को बिल्कुल शुरुआत में ही इस्तीफा देना पड़ा तो भारतीय लोकतंत्र और उससे जुड़े प्रावधान मजाक के पात्र होंगे.’