जन-विरोधी नीतियों का हवाले देते हुए यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी देने के बयान से द्रमुक पार्टी के अध्यश्र एम करुणानिधि पलट गए हैं.
डीएमके चीफ महज दो घंटे के अंदर अपने बयान से पलट गए. डीएमके अध्यक्ष ने कहा कि मीडिया ने उनके बयान को तोड़ मरो़ड़कर पेश किया.
करुणानिधि ने कहा कि कड़वाहट के बावजूद में हम UPA में बने रहेंगे. हम केंद्र सरकार को अस्थिर नहीं करना चाहते हैं.
गौरतलब है कि डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि ने केंद्र की यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दी थी. करुणानिधि ने पेट्रोल की बेतहाशा बढ़ी कीमत के विरोध में ऐसी धमकी दी थी.
डीएमके सुप्रीमो करुणानिधि ने यूपीए से साफ लहजे में कहा थी कि वह जनविरोधी नीतियां छोड़े, अन्यथा डीएमके समर्थन वापस लेने को मजबूर हो जाएगी.
द्रमुक ने पेट्रोल की कीमतों में हुए इजाफे के मुद्दे पर यह कहते हुए यूपीए से समर्थन वापसी की धमकी दी कि पार्टी ने लोगों की संवेदनाओं का आदर करते हुए पहले कभी भी ऐसा करने में हिचक नहीं दिखाई है.
पार्टी अध्यक्ष एम करुणानिधि ने समर्थकों की एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘द्रमुक गठबंधन में शामिल है. गठबंधन अलग बात है, लेकिन हमारा कर्तव्य लोगों को प्रभावित करने वाली नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करना है.’
केंद्र की ओर से पेट्रोल की कीमतों में किए गए भारी इजाफे और तमिलनाडु सरकार की ओर से दूध के दाम और बस भाड़ा बढ़ाए जाने के विरोध में सभा आयोजित की गयी थी.
88 वर्षीय द्रमुक नेता ने कहा, ‘चाहे भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए हो, या वीपी सिंह की कैबिनेट हो’ उनकी पार्टी ने गठबंधनों से नाता तोड़ा है.
करुणानिधि ने कहा, ‘जब कभी बुनियादी सिद्धांतों को नुकसान पहुंचा और गठबंधन सहयोगी होने के नाते हम मुद्दों को सुलझा नहीं, पाए तो हमने विरोध की आवाज उठाने में हिचकिचाहट नहीं दिखायी. हम गठबंधन से बाहर आने में नहीं हिचके और उन सिद्धांतों को बरकरार रखा.’
द्रमुक अध्यक्ष ने पेट्रोल की कीमतों में हुई बढ़ोत्तरी को ‘दमनात्मक’ करार दिया. करुणानिधि ने कहा कि न सिर्फ विपक्षी बल्कि यूपीए में शामिल पार्टियों के अलावा कांग्रेस नेता एवं रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी पेट्रोल की कीमतों में हुए इजाफे पर यह कहते हुए असंतोष जताया कि यह अस्वीकार्य है.
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इसका संज्ञान लेना चाहिए और आम आदमी को राहत देना चाहिए.’ पेट्रोल की कीमतों में कमी की मांग करते हुए करुणानिधि ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों को आम जनता का विश्वास जीतने के लिए उन पर बोझ कम करना चाहिए.
करुणानिधि ने कहा, ‘ऐसा करने में दोनों के बीच एक प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए और उन्हें जनता का विश्वास जीतना चाहिए.’
अपनी चिर प्रतिद्वंद्वी और मुख्यमंत्री जयललिता पर निशाना साधते हुए करुणानिधि ने आरोप लगाया कि वह एक ‘अप्रभावशाली कैबिनेट’ की अगुवाई कर रही हैं और उनकी सरकार को लोगों का विश्वास नही बल्कि संपत्ति अर्जित करने की परवाह है.
गौरतलब है कि पेट्रोल की बढ़ी कीमत के विरोध में डीएमके ने 30 मई को तमिलनाडु बंद का आह्वान किया है. प्रदेश में बंद का मिला-जुला असर देखा जा रहा है.
पेट्रोल की बढ़ी कीमत के मुद्दे पर अन्य राजनीतिक पार्टियों ने भी 31 मई को देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया है.