थलसेला प्रमुख जनरल वी के सिंह ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि सरकार ने उनके साथ जिस तरीके से व्यवहार किया, उससे उनकी उम्र के मामले में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत और प्रक्रिया का पूर्ण अभाव परिलक्षित होता है.
जनरल सिंह ने अपनी जन्मतिथि 10 मई 1951 के स्थान पर 10 मई 1950 निर्धारित करने के सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में 68 पृष्ठों की याचिका दायर की है. जनरल सिंह ने कहा कि उन्होंने तत्कालीन थलसेना प्रमुख के कहने पर भरोसे में आकर अपना जन्म वर्ष 1950 स्वीकार कर लिया था.
उन्होंने कहा कि इसके पीछे सैन्य सचिव की शाखा के साथ समझौता नहीं था. उनकी याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी (सरकार) को यह स्पष्ट करने की जरूरत है कि सेना के सबसे वरिष्ठ अधिकारी के साथ इस तरह का बर्ताव क्यों किया गया जिसमें प्रक्रिया और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पूर्ण अभाव झलकता हो, वह भी अटार्नी जनरल से ली गयी राय के आधार पर.
जनरल सिंह ने आश्चर्य व्यक्त किया कि रक्षा मंत्रालय ने सेना का अधिकारिक रिकार्ड रखने वाली एडज्यूटेंट जनरल शाखा के रिकॉर्डों पर संदेह किए जाने का कोई स्पष्टकीरण नहीं दिया. उन्होंने कहा कि किसी अन्य प्राधिकार ने भी उनकी दलील को खारिज करते हुए ऐसा नहीं किया.
उन्होंने कहा कि यह समझ से परे है कि यूपीएससी फार्म भरे जाने के दौरान असावधानीवश हुई गलती को क्यों इतना महत्व दिया जा रहा है जबकि अन्य रिकार्ड की अनदेखी की जा रही है. अपनी जन्मतिथि 10 मई 1950 के स्वीकार करने कर कारण बताते हुए जनरल सिंह ने तत्कालीन थलसेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर के साथ हुयी बातचीत का ब्यौरा दिया.
उन्होंने कहा कि उन्होंने जनरल कपूर द्वारा आदेश दिए जाने पर ऐसा किया. जनरल सिंह ने कहा कि भारतीय सेना की उच्च परंपरा को देखते हुए उनके पास कोई विकल्प नहीं था सिवाय अपने वरिष्ठ अधिकारी के आदेश का पालन करने का. उन्होंने कहा कि उनके वरिष्ठ अधिकारी ने आश्वासन दिया था कि वह तथ्यों को स्वीकार करते हुए इस मुद्दे को तार्किक अंत तक पहुंचाऐंगे.
याचिका के अनुसार थलसेना प्रमुख ने 2008 में उन्हें निजी तौर पर आश्वस्त किया था कि वह जन्मतिथि का मुद्दा हल कर देंगे. उन्होंने कहा कि करीब तीन महीने तक इस मामले में कुछ नहीं हुआ और उन्होंने एक जुलाई 2008 को तत्कालीन थलसेना प्रमुख जनरल कूपर को पत्र लिखकर इस मामले में न्याय का अनुरोध किया.
जनरल सिंह ने याचिका में कहा कि थलसेना प्रमुख को गरिमा के साथ अवकाशग्रहण करने का अधिकार है, हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि सरकार को उनका कार्यकाल निर्धारित करने का अधिकार है. जनरल सिंह ने जन्मतिथि 10 मई 1951 स्वीकार करने के संबंध में अपनी संवैधानिक शिकायत को खारिज कर दिए जाने को ‘अवैध तथा मनमाना’ बताते हुए कहा कि यह उनके मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है.
इस आदेश को खारिज किए जाने की मांग करते हुए जनरल सिंह ने दलील दी है कि सरकार को उनकी जन्मतिथि 10 मई 1951 मानने का निर्देश दिया जाए. इसके पहले रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि 10 मई 1950 को आधिकारिक जन्मतिथि माना जाएगा और इसके फलस्वरूप वह इसी साल 31 मई को अवकाशग्रहण करेंगे. इसके बाद जनरल सिंह ने सरकार को उच्चतम न्यायालय में खींचा था.
उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि उनकी उम्र से जुड़े विवाद या इस याचिका का जो फैसला हो, सरकार के पास थलसेना प्रमुख का कार्यकाल निर्धारित करने का अधिकार है. जनरल सिंह ने कहा कि जन्मतिथि के संबंध में उनकी दलील को स्वीकार करने से इंकार किए जाने और सरकार के कदम से आम लोगों तथा सशस्त्र बलों के समक्ष उनकी छवि प्रभावित हो रही है.
उन्होंने याचिका में दलील दी कि सम्मानजनक जीवन जीने का उनका अधिकार है. उन्होंने कहा कि ‘थलसेना प्रमुख को गरिमा के साथ अवकाशग्रहण करने का अधिकार है.’ मंत्रालय के 30 दिसंबर के आदेश और पूर्व में उनके मामले को खारिज किए जाने का जिक्र करते हुए थलसेना प्रमुख ने कहा कि इन आदेशों में उनके मैट्रिक के प्रमाण पत्र, सेवा के रिकार्ड, पदोन्नति और सालाना गोपनीय रिपोर्ट आदि की भी अनदेखी की गयी. जनरल सिंह ने कहा कि उन्हें सभी सम्मान, पदोन्नतियां उनकी जन्मतिथि 10 मई 1951 के आधार पर मिलीं.
उन्होंने अपनी जन्मतिथि 10 मई 1951 होने के समर्थन में याचिका के साथ कई दस्तावेज और रिकार्ड भी संलग्न किए हैं. हालांकि उन्होंने अपने आवेदन में कहा है कि एनडीए में दाखिले के लिए अपने आवेदन में उन्होंने असावधानीवश जन्मतिथि 10 मई 1950 दर्ज कर दिया था.