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लोकपाल बिल पर छाया असमंजस का धुंधलका

भ्रष्‍टाचार से निजात पाने के लिए एक ओर देशवासी टीम अन्‍ना की ओर उम्‍मीदें लगाए बैठी है. दूसरी ओर सरकार जनता के सामने बार-बार लोकपाल के लिए प्रतिबद्धता की बात करती है, पर अंत समय में वह कोई न कोई सियासी चाल चलती नजर आती है.

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संसद
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भ्रष्‍टाचार से निजात पाने के लिए एक ओर देशवासी टीम अन्‍ना की ओर उम्‍मीदें लगाए बैठी है. दूसरी ओर सरकार जनता के सामने बार-बार लोकपाल के लिए प्रतिबद्धता की बात करती है, पर अंत समय में वह कोई न कोई सियासी चाल चलती नजर आती है.

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इस बार भी स्थिति कमोबेश वैसी ही मालूम पड़ती है. लोकपाल विधेयक को सोमवार या मंगलवार को संशोधित रूप में राज्यसभा में पेश किये जाने की संभावना है, जिसमें लोकायुक्त के विवादास्पद प्रावधान को हटाने के साथ ही सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति में और पारदर्शिता लाना शामिल है.

इस बात की काफी अटकलें लगायी जा रही थीं इस पर कैबिनेट की ओर से गुरुवार को चर्चा की जा सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सूत्रों ने कहा कि राज्यसभा में पारित होने के बाद इसे बाद में वास्तविक मंजूरी प्रदान की जा सकती है.

लोकसभा में गत दिसम्बर में पारित लोकपाल विधेयक पर चर्चा राज्यसभा में तकनीकी कारणों से शीतकालीन सत्र के दौरान पूरी नहीं हो पायी थी.

कुछ सूत्रों का कहना है कि विधेयक सोमवार को राज्यसभा में आ सकता है जबकि कुछ अन्य इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ऐसा मंगलवार तक हो सकता है जो कि बजट सत्र का आखिरी दिन होगा.

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कार्मिक राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने से कहा, ‘सरकार विधेयक को वर्तमान सत्र में लाने को प्रतिबद्ध है.’ सरकार और विपक्ष इस बात पर सहमत है कि विधेयक से लोकायुक्त प्रावधान को हटा दिया जाए और अलग आदर्श कानून पारित किया जा सकता है जिसमें राज्यों को अपना भ्रष्टाचार निरोधक कानून बनाने के लिए दिशानिर्देश का काम करेगा.

जानकारी के अनुसार लोकपाल को हटाने के मुद्दे पर सरकार विपक्ष की मांग के करीब है कि सरकार के पास ही सभी अधिकार नहीं होने चाहिए. मध्यमार्ग निकालने के प्रयास जारी हैं जिसमें संसद इस मामले पर फैसला करेगी और उसके बाद उसे उच्चतम न्यायालय को सूचित करेगी.

जहां तक गैर सरकारी संस्थाओं को लोकपाल के दायरे में लाने की बात है सरकार विपक्ष के सुझाव पर सहमत हो सकती है कि केवल सरकारी वित्तीय सहायता प्राप्त गैर सरकारी संस्थाओं को ही इसके दायरे में लाया जाए.

विवादास्पद लोकपाल विधेयक पर सरकार और विपक्ष के बीच कुछ दौर के वार्तालाप के बाद भी सीबीआई को और अधिक स्वायत्तता देने तथा लोकपाल की नियुक्ति और उसे हटाने जैसे मुद्दे अभी गतिरोध का विषय बने हुए हैं.

सरकार ने लोकपाल विधेयक पर आम.सहमति बनाने की कोशिश में विपक्ष के नेताओं से संपर्क साधा है और कुछ मुद्दों पर उनसे बातचीत की.

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सरकार ने लोकपाल विधेयक पर आम.सहमति बनाने की कोशिश में विपक्ष के नेताओं से संपर्क साधा है और कुछ मुद्दों पर उनसे बातचीत की.

सूत्रों के अनुसार विपक्ष जहां इस बात पर जोर दे रहा है कि सीबीआई को सरकार के नियंत्रण से बाहर करके स्वायत्त बनाया जा सकता है वहीं सरकार एजेंसी को अलग करने के पक्ष में नहीं है.

कानून मंत्री सलमान खुर्शीद, मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल और संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली और माकपा नेता सीताराम येचुरी से इस मुद्दे पर गुफ्तगू की.

सूत्रों ने कहा कि सरकार सीबीआई को स्वायत्त बनाने के पक्ष में नहीं है लेकिन वह विपक्ष के इस रुख से सहमत बताई जाती है कि एजेंसी के निदेशक की नियुक्ति एक कॉलेजियम द्वारा की जानी चाहिए.

विपक्ष ने यह मांग भी की कि लोकपाल का चुनाव करने वाली इकाई तटस्थ हो और उसमें सरकार की मौजूदगी और नियंत्रण कम से कम हो. इस चयन समिति में न्यायाधीशों की संख्या भी कम की जा सकती है.

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