अन्ना हजारे के मुंबई पहुंचने से ठीक पहले सरकार ने उनसे अनशन न करने की अपील की है. सरकार का दावा है कि लोकपाल बिल प्रभावशाली और मजबूत है.
समाजसेवी अन्ना हजारे द्वारा 'कमजोर' लोकपाल विधेयक के विरोध में मंगलवार से शुरू होने वाले अनशन से एक दिन पहले सरकार ने इस कदम को असामयिक बताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार रोधी कानून का निर्माण संसद के विवेक पर छोड़ देना चाहिए.
संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने सोमवार को कहा, 'सरकार ने पहले ही प्रभावशाली एवं मजबूत विधेयक लोक सभा में पेश कर दिया है. सभी लोग इसमें भागीदारी करेंगे. राजनीतिक दलों के विचार भी सामने आएंगे और विधेयक को मतदान के लिए रखा जाएगा.'
उन्होंने कहा, 'संसद को इस पर निर्णय करने के लिए छोड़ दें. मैं उनसे केवल इतना ही निवेदन करना चाहूंगा कि संसद के निर्णय का इंतजार करें.'
दूसरे संसदीय कार्य राज्य मंत्री हरीश रावत ने भी यह बात कही. उन्होंने कहा कि इस विधेयक का निर्माण संसद के विवेक पर छोड़ देना चाहिए. रावत ने कहा कि अन्ना के सहयोगियों के अधिकतर सुझावों को विधेयक में जगह दी गई है और इसका निर्माण समाज के सभी वर्गो के कल्याण को ध्यान में रखकर किया गया है.
उन्होंने कहा, 'देश एवं समाज के सभी वर्गो के कल्याण को ध्यान में रखकर सभी सुझावों को जगह दी गई है. यदि कुछ छूट जाता है तो अन्नाजी एवं उनके साथियों को इसे संसद एवं सांसदों के विवेक पर छोड़ देना चाहिए.'
रावत ने पत्रकारों से कहा, 'उनके अधिकतर सुझावों को कमोबेश विधेयक में जगह दी गई है.' उन्होंने कहा कि जब संसद विचार कर रहा है तो ऐसे में दबाव बनाने की कोई जरूरत नहीं है. रावत ने कहा, 'संसद में कल से बहस शुरू होगी और इस पर विस्तृत रूप से विचार किया जाएगा. सभी राजनीतिक दल इसमें भागीदारी करना चाहते हैं और खुले दिमाग से सामने आए हैं. ऐसे समय में किसी भी प्रकार के दबाव बनाने की कोई जरूरत नहीं है.' उन्होंने कहा, 'अन्ना वरिष्ठ नागरिक हैं और हम उनका सम्मान करते हैं.'
अन्ना मंगलवार से मुम्बई में तीन दिवसीय अनशन पर बैठने जा रहे हैं. ठीक इसी समय लोकपाल विधेयक पर बहस और उसको पारित करने के लिए संसद का शीतकालीन सत्र 27 से 29 दिसम्बर तक बढ़ा दिया गया है.