मेरठ के एक गैरेज में मेकेनिक, 22 वर्षीय समीर अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा फैशन पर खर्च करता था. उसका शौक लड़कियों से दोस्ती करना भी था. उसकी ज्यादातर कोशिश हिंदू लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फंसाने की होती थी. वह अपना नाम हमेशा हिंदुओं वाला ही बताता और पहचान बदलकर लड़कियों से मिलता था.
एक दिन उसका दिल मेरठ के कन्या विद्यालय की छात्रा रेनू पर आ गया. उसने रेनू को अपना नाम सुशील बताया. दोनों का प्रेम परवान चढ़ा और रेनू गर्भवती हो गई. जब समीर ने उसके सामने निकाह का प्रस्ताव रखा तब रेनू को पता चला कि वह सुशील नहीं, समीर है. समीर उसे भावनात्मक रूप से बरगलाकर घर से भगा ले गया. रेनू के पिता ने पुलिस में शिकायत की मगर रेनू के समीर के पक्ष में बयान देने के बाद मामला बंद हो गया है. आज रेनू उर्फ मुमताज और समीर असम में रह रहे हैं. उनका एक बच्चा भी है.
ऊपर से अंतर्धार्मिक प्रेम विवाह नजर आते ऐसे मामले देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में इधर तेजी से बढ़े हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों खास तौर पर मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, बागपत, सहारनपुर और मुरादाबाद में बिलकुल वैसे ही हो रहा है जैसे कि केरल और दक्षिण भारत के कई राज्यों में होता रहा है.
सिर्फ मेरठ में ही दो महीने के भीतर नौ मामले ऐसे हुए हैं जिनमें मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों को बहला-फुसलाकर भगा ले गए हैं. कई जगह मामला सांप्रदायिक तूल पकड़ चुका था मगर इलाके के बड़े-बुजुर्गो के बीच-बचाव के बाद सब कुछ ठीक हो गया.
कुछ लोग और पुलिस-प्रशासन भी इसे 'लविंग जिहाद' का नाम दे रहा है. खुफिया विभाग के अधिकारी बताते हैं कि पूरे देश में इस तरह के मुस्लिम लड़के हैं जो सोची-समझी रणनीति के तहत हिंदू लड़कियों को अपना शिकार बनाते हैं. इन अधिकारियों का कहना है कि कुछ मौलवी धर्म की आड़ में मुस्लिम लड़कों का ब्रेनवाश करते हैं और उनके दिमाग में यह बात गहराई तक बिठा देते हैं कि हिंदू लड़कियों को प्यार के जाल में फंसा कर उनसे बच्चे पैदा करने से उन्हें जन्नत नसीब होगी और अल्लाह उन पर मेहरबान रहेगा क्योंकि इस तरह वे इस्लाम का विस्तार करेंगे.{mospagebreak}
बाहर के मुल्कों से इन लड़कों को किन्हीं और जरिए से पैसा मिलता है और सौंदर्य प्रसाधन की चीजें भी मिलती हैं जिन्हें वे लड़कियों को तोहफे के रूप में देते हैं. पुलिस अधिकारी बताते हैं कि ये रोमियो टाइप लड़के मोटरबाइक्स पर कन्या विद्यालयों के आसपास चक्कर काटते रहते हैं. ये अपने हाथों में कलावा (मौली) बांधे रखते हैं और अपने नाम हिंदुओं से मिलते-जुलते रख लेते हैं-जैसे पप्पू, मुन्ना, समीर, बॉबी, कल्लू, चुन्ना आदि. ये मुस्लिम लड़के दिखावे के लिए अपना रहन-सहन काफी उच्च स्तर का रखते हैं.
सो, समीर सरीखे और भी लड़कों के मामले सामने आए हैं-शकील, युनूस, आरिफ, आसिफ और आजम जैसे, जो टारगेट करके हिंदू लड़कियों को अपने प्रेमजाल में फंसाते हैं.
खास तौर से सहारनपुर के हिंदू और ईसाई तबकों में यह बात गहराई तक घर कर चुकी है कि जिन-जिन इलाकों में मुस्लिमों की ज्यादा तादाद है, वहां गैर-मुस्लिम लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं. मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों के साथ दोस्ती करने और फिर प्यार की पींगे बढ़ाने के साथ ही उनका भावनात्मक शोषण करके किसी भी कीमत पर उनसे शादी करने का प्रयास करते हैं.
कमसिन लड़कियां उनकी चालों को नहीं समझ् पातीं और उनके जाल में फंसती चली जाती हैं. कई बार तो ये लड़कियां उन लड़कों के प्यार में इस कदर पागल हो जाती हैं कि कुछ भी करने को तैयार हो जाती हैं, हालांकि तब तक उन्हें यह नहीं पता होता है कि उनका प्रेमी मुस्लिम है. वे घर से भागने जैसा कदम उठा लेती हैं. कई मामलों में लड़की के नाबालिग होने की वजह से मां-बाप पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराते हैं. समाज में बदनामी के डर से मां-बाप कोशिश करते हैं कि मामला कोर्ट-कचहरी से बाहर ही निबट जाए.
बुलंदशहर में ऐसा ही एक मामला सामने आया. 15 वर्षीया सुलेखा जो नौवीं कक्षा की छात्रा थी, अपनी सहेलियों के साथ स्कूल जाया करती थी. जिब्रहान उर्फ बबलू अपने दोस्तों शकील, गुड्डू और राजू के साथ बाइक से उसका पीछा किया करता था. चूंकि सुलेखा एक वाल्मीकि परिवार की लड़की थी और काफी पूजा-पाठ करती थी. उसके माथे पर हमेशा रोली का टीका लगा रहता था जिसे देखने के बाद जिब्रहान ने अपना नाम हमेशा बबलू ही बताया और हाथ में कलावा बांध के ही उससे मिलता था.{mospagebreak}
वह सुलेखा की सहेलियों के जरिए उसे महंगे-से दिखने वाले तोहफे वगैरह भिजवाने लगा. फिर सुलेखा भी जिब्रहान से मिलने के बहाने खोजने लगी और धीरे-धीरे दोस्ती प्यार में बदल गई और छह माह बाद ही जिब्रहान के कहने पर वह घर से भागने को तैयार हो गई. उसके घर वालों ने पुलिस में इसकी शिकायत की और जिब्रहान के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया. सुलेखा को पुलिस ने खोज निकाला और उसके घरवालों के सुपुर्द कर दिया, जिब्रहान अभी जेल में है. सुलेखा की शादी उसके घरवालों ने मेरठ में कर दी है. सुलेखा ने खुद बताया कि जिब्रहान ज्यादातर समय उससे इस्लाम से जुड़ी बातें ही करता था. जब वह उसके लिए पूरी तरह से पागल हो चुकी थी तो नमाज भी पढ़ती थी और रोजे भी रखने लगी थी. आज सुलेखा को जिब्रहान से उसका प्यार करना गलत लगता है और वह इसे अपनी जिंदगी की एक बड़ी गलती मानती है.
बहरहाल, मुस्लिम धर्मगुरु लविंग जिहाद की इस परिभाषा को पूरी तरह से नकारते हैं. शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद का कहना है कि प्रेम का कोई मजहब नहीं होता. कोई, कभी भी, कहीं भी किसी को अच्छा लग सकता है. इसे मजहबी दीवारें नहीं रोक सकतीं. इस तरह के आरोप बेबुनियाद हैं और धार्मिक भावना को भड़काने के उद्देश्य से कुछ लोग इस तरह की बातें प्रचारित-प्रसारित कर रहे हैं.
लेकिन कई लोग, खास तौर से कट्टरपंथी हिंदू गुट इस तरह की घटनाओं को लविंग जिहाद ही मानते हैं. उनके अनुसार, मदरसों में जिस तरह की भाषा का प्रयोग होता है वह लोगों की भावनाओं को भड़काने में अहम भूमिका निभाती है. इंडिया टुडे ने खुद जाकर कई मदरसों में देखा. खास तौर से देवबंद में शुक्रवार की नमाज के समय जो तकरीर (भाषण) होती है, उसमें जिस भाषा का प्रयोग हो रहा था उसे भड़काऊ ही कहा जाएगा.{mospagebreak}
विश्व हिंदू महासंघ के उपाध्यक्ष महंत सुरेंद्र नाथ अवधूत कहते हैं कि धार्मिक कट्टरता का पाठ पढ़ाना गलत है. मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसाते हैं और उनकी जिंदगी बरबाद करके छोड़ देते है. प्रेम में निष्ठा और समर्पण होना चाहिए जबकि इन मामलों में इसकी जगह आक्रोश और विद्रोह ले लेता है. इन लड़कों को मुस्लिम धर्मगुरुओं का संरक्षण ह्ढाप्त होता है और उनके उकसावे पर ही कुछ मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसाते हैं.
जब तक लड़की को सचाई का पता चलता है तब तक देर हो चुकी होती है. अगर वे सच में प्यार करते हैं तो कुछ भी गलत नहीं मगर वे हमारे सामाजिक ढांचे को तोड़ना और छिन्न-भिन्न करना चाहते हैं जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह पूछने पर कि जब कभी भी इस तरह की कोई घटना सामने आती है कि मुस्लिम लड़का हिंदू लड़की को बहला-फुसलाकर भगा ले गया तो बजरंग दल और शिवसेना जैसे कट्टर धार्मिक संगठन जो मारपीट और तोड़फोड़ की घटनाओं को अंजाम देते हैं, क्या वह सही है, सुरेंद्र नाथ का कहना था कि अपनी धार्मिक संपदा की रक्षा तो करनी ही चाहिए. उसको बचाने और समाज में फैल रही गंदगी को दूर करने के लिए कुछ तो करना ही पड़ेगा. ये प्रतिक्रियाएं उसी क्रम में होती हैं.
इस रोमियो जिहाद या लव जिहाद के बढ़ते मामलों को लेकर पुलिस-प्रशासन भी चिंतित है. हालांकि अभी तक लविंग जिहाद के चलते किसी भी इलाके में कोई अप्रिय घटना नहीं घटी है मगर कई इलाकों में तनाव जरूर पैदा हो गया था. ऐसी ही एक घटना 14 फरवरी, 2009 को बुलंदशहर में हुई थी, जिसमें शहर के विधायक हाजी अलीम के भतीजे अशरफ, अकरम, असलम और फैजउल हसन इलाके की एक लड़की सोनम को फुसलाकर ले भागे जिसके बाद पूरे इलाके में तनाव पैदा हो गया.{mospagebreak}
गुर्जर समुदाय के लोगों ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के साथ विधायक के घर पर धावा बोल दिया. गुस्साए विधायक के भाई यूनुस ने वहां कई हवाई फायर भी किए. मारपीट में काफी लोग घायल हुए. इस पूरी घटना से इलाके में एक सप्ताह तक कर्फ्यू जैसा माहौल रहा.
उत्तराखंड में भी इस तरह के मामले सामने आए हैं. कुछ मामलों में बजरंग दल और कुछ हिंदूवादी संगठनों ने इसके विरोध में मुस्लिम लड़कों के घरवालों की जमकर पिटाई भी की जिसके बाद पूरे इलाके में कई दिनों तक तनाव का माहौल रहा.
मेरठ के परीक्षितगढ़ में कुमारी पूजा और शकील एक ही स्कूल में पढ़ते थे. पूजा की उम्र 16 वर्ष के करीब थी. दोनों ही फिल्मों के शौकीन थे. साथ-साथ घूमते-घूमते प्यार हो गया. दोनों ने पहले तो मंदिर में शादी की, उसके बाद काजी के सामने अपने दोस्तों की गवाही से निकाह भी पढ़ लिया. दोनों अलग-अलग रहते रहे मगर तीन महीने बाद पूजा और शकील भाग गए. मामला दर्ज होने पर पुलिस ने पूजा को खोज निकाला मगर उसने शकील के ह.क में बयान दिया जिसके बाद हाइकोर्ट के आदेश पर मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लग गई.
इस तरह की घटनाएं सदियों से चली आ रही हैं. इनमें ऐसा नया कुछ भी नहीं है मगर अभी हाल के दिनों में इस तरह की घटनाओं में जो तेजी आई है और आंकड़े ह्ढाप्त हो रहे हैं, वो चौंकाने वाले हैं.
मेरठ का इजलाल कुरैशी और शीबा सिरोह प्रकरण काफी चर्चाओं में रहा था. इ.जलाल पेशे से ठेकेदार था और शहर में छोटे स्तर की नेतागीरी भी करता था. उसने शीबा को महंगे तोहफे और पैसे का लालच देकर अपने प्यार के जाल में फंसाया. मगर यह मालूम होने पर कि शीबा कुछ और लड़कों से मिलती-जुलती है, उसने उन लड़कों को अपने घर बुलाकर शराब पिलाई और बेदर्दी से गला रेत कर उनकी हत्या कर दी. बाद में आसपास के लोगों को इकट्ठा करके उसने बताया कि ये लड़के उसके घर में चोरी करने के इरादे से घुसे और आत्मरक्षा में उसने उनका खून कर दिया. मगर कहते हैं कि इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते. कुछ दिनों की तफ्तीश के बाद सारा मामला सामने आ गया और इजलाल को जेल भेज दिया गया. आज भी वह मेरठ जेल में बंद है.{mospagebreak}
मशहूर इतिहासकार बिपिन चंद्रा कहते हैं कि लविंग जिहाद कोई नई बात नहीं है. इतिहास में इस तरह के कई मामले दर्ज हैं. अकबर ने जोधाबाई से शादी की वह भी एक तरह का लविंग जिहाद ही था. मतलबपरस्ती के लिए ही उसने जोधाबाई से शादी की थी क्योंकि मुगलों को सबसे ज्यादा खतरा राजपूतों और रजवाड़ों से था. हिंदू रियासतें ही उसे चुनौती दे रही थीं. उनसे निबटने का उसने यह तरीका निकाला जो काफी कारगर रहा और उसके बाद जो कुछ भी हुआ, वह इतिहास के पन्नों में दर्ज है. हर समाज का अलग-अलग तानाबाना होता है और हमेशा ही कुछ-न-कुछ अलग घटित होता है. मगर जहां तक इस लविंग जिहाद का सवाल है तो यह प्रसंग बहुत ही पुराना है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस लविंग जिहाद का तब पता आया जब फिल्म निर्माता और लेखिका पारोमिता वोहरा ने लविंग जिहाद पर 2007 में एक वृत्तचित्र बनाया एक मनोहर कहानी. इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद मेरठ में कई इलाकों में तनाव का माहौल रहा. लविंग जिहाद के मामलों में हो रहे इजाफे को लेकर पुलिस-प्रशासन भी परेशान है और हमेशा सजग रहता है कि कहीं कोई घटना सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ न दे और कानून-व्यवस्था को संभालना मुश्किल हो जाए.
मिल्कियत सिंह, पुलिस महानिदेशक (अभिसूचना) मानते हैं कि इस तरह के मामलों में वृद्धि हुई है मगर उसे लविंग जिहाद का नाम नहीं दिया सकता. लेकिन जो मुकदमे दर्ज हुए हैं उनमें साफ तौर पर कई जगहों पर यह लिखा है कि यह मामला लविंग जिहाद जैसा प्रतीत होता है. उनसे यह पूछे जाने पर कि मदरसों में जो तकरीर होती है, उस बाबत आपकी क्या राय है, थोड़ी देर की खामोशी के बाद उनका जवाब था कि अगर ऐसा है तो गलत है और इसे रोकना चाहिए. मगर इन घटनाओं की रोकथाम को लेकर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.{mospagebreak}
यह भी एक कड़वा सच है कि पुलिस अधिकारियों तक की हिम्मत नहीं होती कि वे इन तालीमी इदारों (मदरसों) में प्रवेश करके वहां की गतिविधियों की जानकारी ले सकें या फिर वहां हो रही किसी भी गैर कानूनी गतिविधि को रोक सकें.
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को, जोकि लखनऊ से सांसद भी थे, अपने ही संसदीय क्षेत्र में स्थित नदवा कॉलेज में आइबी अधिकारियों के घुसने और वहां मौजूद छात्रों और अध्यापकों से पूछताछ करने के लिए कॉलेज प्रशासन से माफी मांगनी पड़ी थी जबकि आइबी अफसरों के पास पूछताछ के लिए पुख्ता सबूत थे.
इस्लाम का इतिहास काफी सुंदर है. पूरी दुनिया को इस धर्म ने कला, सािहत्य और श्रृंगार के क्षेत्र में बहुत कुछ दिया है. मगर कतिपय धर्मांध और फिरकापरस्त संकीर्ण मनोवृत्ति के लोगों के चलते यह सुंदर धर्म और सुंदर लोग आस्था और विश्वसनीयता की कसौटी पर बलि चढ़ रहे हैं.
जरूरत इस बात की है कि ये लोग अपने सोच के संकीर्ण दायरों को छोड़कर व्यापक दृष्टिकोण से सोचना शुरू करें ताकि लोगों के मानस पटल पर इनके प्रति उकेरा हुआ स्नेह जुगुप्सा में परिवर्तित न हो. दूसरी ओर, दोनों समुदायों को संतुलन का ख्याल रखना होगा और हर मामले को सांप्रदायिक नजरिए से देखने से बचना होगा.