महात्मा गांधी को आधिकारिक रूप से राष्ट्रपिता का दर्जा कभी नहीं दिया गया. इस बात का ख़ुलासा आरटीआई के तहत हुआ है. अभिषेक कादयान नाम के एक आरटीआई कार्यकर्ता की मांग पर गृहमंत्रालय ने साफ़ किया है कि बापू को देश के लोगों ने प्यार से राष्ट्रपिता का नाम दिया था.
इससे पहले लखनऊ की ऐश्वर्या पाराशर ने आरटीआई के तहत यही जानकारी मांगी थी तब भी ये बताया गया था कि बापू को राष्ट्रपति की उपाधि देने को लेकर कोई दस्तावेज़ मौजूद नहीं हैं. निदेशक एवं केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी ने इस साल 18 जून को दिये जवाब में कहा, ‘भले ही महात्मा गांधी को लोकप्रिय ढंग से राष्ट्रपिता कहा जाता है लेकिन सरकार ने कभी इस प्रकार की कोई उपाधि औपचारिक रूप से उन्हें प्रदान नहीं की.’
अभिषेक कादियान ने 21 मई 2012 को गृह मंत्रालय में एक अर्जी देकर यह जानना चाहा था कि क्या महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता घोषित किया गया है. कादियान इटली स्थित पशु अधिकारों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ओआईपीए के सलाहकार हैं.
इससे पूर्व लखनऊ की छठी कक्षा की छात्रा ऐश्वर्या पाराशर ने एक आरटीआई के तहत भेजी एक अर्जी में उस आदेश की फोटो प्रति मांगी थी जिसके तहत महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता घोषित किया गया था. उसे सूचित किया गया कि इस जानकारी के बारे में कोई विशिष्ट दस्तावेज नहीं है. ऐश्वर्या ने इस साल फरवरी में प्रधानमंत्री कार्यालय में केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी को आरटीआई अर्जी भेजी थी.
पीएमओ से यह अर्जी गृह मंत्रालय के पास भेज दी गयी थी. गृह मंत्रालय ने भी कहा था कि यह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और उसे भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार में भेज दिया. राष्ट्रीय अभिलेखागार ने ऐश्वर्या को भेजे जवाब में कहा कि उसके पास उपलब्ध सार्वजनिक रिकार्ड की जांच के बाद पाया गया कि ऐसी कोई सूचना उनके पास नहीं है.