पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब ने 26/11 मुकदमे में विलंब करने के मकसद से महाराष्ट्र के मंत्री नारायण राणे को बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश करने को कहा, लेकिन विशेष अदालत ने इस अनुरोध को ‘‘अप्रासंगिक’’ कहकर खारिज कर दिया और बयानों को दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी कर ली.
विशेष अदालत के न्यायाधीश एम एल टाहिलियानी ने दलीलों के लिए मामले की सुनवाई 20 फरवरी तक टाल दी. कसाब ने राजस्व मंत्री राणे से बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पूछताछ करने का अनुरोध अपने वकील के पी पवार के जरिये किया. कसाब राणे को बचाव पक्ष का गवाह इसलिए बनाना चाहता है, क्योंकि उन्होंने यह सार्वजनिक बयान दिया था कि कुछ स्थानीय तत्वों ने 26/11 के आतंकी को मदद दी थी. हमले के कुछ ही समय बाद राणे ने कहा था कि वे कुछ ऐसे राजनीतिज्ञों को जानते हैं, जिन्होंने आतंकियों को आर्थिक एवं साजोसामान से मदद की थी.
बहरहाल, जब सोलापुर के पुरुषोत्तम बर्डे ने उनके बयान की जांच के लिए बंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी, तो राणे ने एक हलफनामे में कहा कि उन्होंने तो राजनीति के अपराधीकरण पर एनएन वोहरा की रिपोर्ट का जिक्र किया तथा और किसी व्यक्ति के बारे में नहीं कहा था. पवार ने दावा किया कि चूंकि कसाब पर साजिश में भागीदारी का आरोप है, राणे की गवाही से हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में शामिल लोगों के बारे में प्रकाश पड़ेगा.