मालदीव में मोहम्मद नशीद के तख्तापलट के बाद गहराए राजनीतिक संकट से उसे उबारने के लिए शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय कोशिशें तेज हो गई हैं.
पूर्व राष्ट्रपति नशीद सत्ता से बेदखल किए जाने के विरोध में जहां सड़क पर उतरे, वहीं भारत ने एक राष्ट्रीय सरकार के गठन की दिशा में वहां के राजनीतिज्ञों से वार्ता के लिए अपने एक विशेष दूत को रवाना किया.
मालदीव में किसी सैन्य हस्तक्षेप से इनकार करते हुए भारत ने कहा कि उसने संकट के समाधान के लिए कूटनीतिक कोशिशें तेज कर दी हैं और उसने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, रूस और श्रीलंका के राजदूतों को वहां की स्थिति से अवगत कराया है.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विदेश मंत्रालय में सचिव एम. गणपति (पश्चिम) को मालदीव रवाना किया. प्रधानमंत्री ने उनसे वहां की स्थितियों का आकलन करने और एक शांतिपूर्ण राजनीतिक समाधान में मदद करने के लिए कहा है.
मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में पत्रकारों से कहा, 'मैंने स्थिति का आकलन करने के लिए एक दूत को मालदीव भेजा है. इस दिशा में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने की हमारी कोशिश होगी.' प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस मामले का हल शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए निकाल लिया जाएगा.
सरकार के सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार दोपहर बाद माले पहुंचे गणपति ने नशीद और उनके उत्तराधिकारी मोहम्मद वहीद हसन से मुलाकात की. उन्होंने नशीद और हसन से एक व्यापक आधार वाली सरकार के गठन की प्रक्रिया तेज करने के लिए कहा ताकि द्वीपीय राष्ट्र में स्थिरता लौट सके.
वहीं, नशीद के समर्थकों ने लगातार दूसरे दिन लोकतंत्र बहाली और चुनावों की मांग को लेकर सड़क पर प्रदर्शन किए. माले स्थित भारतीय उच्चायोग भी मामले पर नजर बनाए हुए है और नई दिल्ली से सम्पर्क में है. मालदीव में 30 हजार से अधिक भारतीय रहते हैं. स्थिति बिगड़ने पर भारत सरकार उन्हें वहां से निकालने की वैकल्पिक योजना भी तैयार रखी है.
मालदीव में राजनीतिक संकट के समाधान को लेकर अंतर्राष्ट्रीय कोशिशें भी तेज हो गई हैं. जहां एक तरफ संयुक्त राष्ट्र का एक दल शुक्रवार को माले पहुंचा. अमेरिका ने भी समस्या के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया है और सहायक विदेश मंत्री रॉबर्ट ब्लेक शनिवार को माले पहुंच रहे हैं.
दरअसल, अपदस्थ राष्ट्रपति नशीद द्वारा यह खुलासा किए जाने के बाद मालदीव में संकट और गहरा गया कि उनसे बंदूक की नोंक पर जबरन इस्तीफा लिया गया था. उन्होंने इस घटना के लिए नए राष्ट्रपति को जिम्मेदार ठहराया है. नशीद ने बुधवार को गिरफ्तार किए गए अपने लगभग 500 समर्थकों को अविलम्ब रिहा करने की भी मांग की है. लेकिन वहीद ने तख्तापलट की कोशिश में संलिप्तता से इंकार किया है और कहा है कि मंगलवार का सत्ता स्तांतरण एक राजनीतिक बदलाव का हिस्सा था.
नशीद ने बुधवार को विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था. परिणामस्वरूप हजारों की संख्या में पार्टी समर्थक माले और देश के अन्य हिस्सों में सड़कों पर उतर आए थे. इसके बाद मालदीव की एक अदालत ने गुरुवार को नशीद के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. लेकिन वैश्विक दबाव बढ़ने के बाद नए राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद हसन ने आश्वस्त किया है कि नशीद गिरफ्तार नहीं किए जाएंगे.
नशीद की मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रवक्ता इम्तियाज फहमी ने कहा कि अधिकांश समर्थक दक्षिणी द्वीप, एड्ड से थे. हालांकि पुलिस प्रवक्ता अहमद श्याम ने किसी गिरफ्तारी से इनकार किया है.
संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत आस्कर फर्नाडीज-तारांको एक प्रतिनिधिमंडल के साथ शुक्रवार को तीन दिवसीय दौरे पर माले पहुंच गए. उन्होंने मौजूदा राजनीतिक संकट के समाधान के लिए आपसी संवाद शुरू करने का आह्वान किया है. यह दल वहां सरकारी अधिकारियों, विपक्षी नेताओं और नागरिक समाज के सदस्यों से मुलाकात करेगा.
फर्नाडीज-तारांको ने हालांकि यह भी स्पष्ट किया कि वह इस राजनीतिक उथल-पुथल के समाधान के लिए कोई निर्देश देने यहां नहीं आए हुए हैं. उन्होंने कहा, 'मालदीव की समस्या का बाहर से थोपा गया कोई समाधान नहीं हो सकता. मालदीव ही अपनी समस्या का समाधान ढूंढेगा.'
अमेरिका ने गुरुवार को मालदीव की नई सरकार को वैध करार दे दिया. इसके साथ ही उसने मौजूदा राजनीतिक अशांति के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान भी किया.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया नूलेंड से जब एक नियमित संवाददाता सम्मेलन के दौरान पूछा गया कि क्या अमेरिका नई सरकार को वैध मानता है, तो उन्होंने कहा, 'हां, हम ऐसा मानते हैं.'