पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सात राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि करने के लिए संप्रग सरकार को आड़े हाथों लिया और ‘केंद्र के साथ राजनीतिक टकराव’ की धमकी देते हुए कीमतों में वृद्धि तत्काल वापस लिए जाने की मांग की.
राष्ट्रपति के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के बाद दिल्ली से लौटीं ममता ने राइटर्स बिल्डिंग में कहा, ‘हम इसे अपनी ओर से पहल करते हुए लिया गया फैसला, एकतरफा और गलत मानते हैं तथा इसे तत्काल वापस लिए जाने की मांग करते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकारों और संप्रग सहयोगियों के साथ विचार विमर्श किए बिना ऐसा फैसला क्यों किया गया जबकि हम आज सुबह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए व्यस्त थे.’
तेल कंपनियों और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने स्थानीय शुल्क एवं करों के समायोजन के नाम पर यह फैसला किया है. उन्होंने सवाल किया कि नौ साल बाद यह कदम क्यों उठाया गया जबकि 2003 में यह फैसला किया गया था.
उन्होंने कहा कि स्थानीय शुल्क एवं करों का समायोजन सिर्फ सब्सिडी समाप्त करने के लिए है. ‘गरीबों के हितों के लिए सब्सिडी देनी होगी. केंद्र राज्यों से अधिकतम राजस्व हासिल करता है लेकिन उनके लिए बहुत कम रकम छोड़ता है.’
ममता ने कहा, ‘हमें केंद्र के साथ राजनीतिक टकराव के लिए बाध्य नहीं करें, नहीं तो हम सड़कों पर उतर आएंगे.’
कीमतों में वृद्धि से पश्चिम बंगाल जैसे गरीब राज्य प्रभावित होंगे और यह जख्मों पर नमक के समान होगा.
ममता ने कहा कि पूर्ववर्ती वाम मोर्चा सरकार द्वारा छोड़े गए कर्ज के कारण पश्चिम बंगाल कोषों की कमी से जूझ रहा है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद से राज्य को केंद्र से एक पैसा नहीं मिला है.
उन्होंने कहा कि 2003 से केंद्र में दो सरकारें अपना कार्यकाल पूरा कर चुकी हैं. अब नौ साल बाद उसे क्यों लागू किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 2003 के फैसले को लागू करने के लिए पहले केंद्र को स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए.