राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के पक्ष में समर्थन जुटाने की कोशिश के तहत फेसबुक पर उतरने के दो दिन बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को उनकी इस पहल के लिए बधाई भी मिली है और आलोचना भी.
राष्ट्रपति पद के लिए कलाम को दिए अपने समर्थन को लाखों भारतीयों की आवाज बताते हुए बनर्जी ने शनिवार को फेसबुक पर अपनी शुरुआत की और इसके उपयोगकर्ताओं से अपील की कि उन्हें पूर्व राष्ट्रपति के समर्थन में सामने आना चाहिए.
ममता ने रविवार को फेसबुक पर दोबारा अपील जारी की और युवा पीढ़ी से अनुरोध किया कि वह राजनीति में पर्दे के पीछे होने वाली सौदेबाजियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करे.
बनर्जी के पृष्ठ पर सयंतन चक्रबर्ती ने अपनी प्रतिक्रिया में लिखा है कि मैं यह बात नहीं समझ सकता कि हमसे कलाम के लिए फेसबुक पर वोट मांगा जा रहा है, जबकि संविधान के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव के लिए हमारे वोट की गिनती नहीं होती. यह राजनीति के सर्कस से ज्यादा कुछ नहीं है.
बनर्जी के आधिकारिक पृष्ठ पर 17,212 लाइक्स आ चुके हैं और उनके दो पोस्ट पर 6,000 से अधिक टिप्पणियां प्राप्त हो चुकी हैं और यह सिलसिला अभी भी जारी है.
अधिकांश टिप्पणियों में कांग्रेस के खिलाफ खड़े होने और केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का राष्ट्रपति पद के लिए विरोध करने के उनके साहस की प्रशंसा की गई है.
कौशिक साहा ने लिखा है कि देश के सबसे सफल राष्ट्रपति रहे ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को मेरा पूरा समर्थन है. ममता दीदी, इस लड़ाई में आपको मेरा पूरा समर्थन है. सिमरन रॉय ने लिखा है कि आप जो रास्ता दिखा रही हैं हम उसपर चल रहे हैं. हमेशा आपके साथ.
राहुल रे ने कहा है कि कलाम एक गैरराजनीतिक व्यक्ति हैं, इसलिए हम उन्हें चाहते हैं, दीदी हम आपके साथ हैं. लेकिन फेसबुक का इस्तेमाल करने वाले एक वर्ग ने मुखर्जी की उम्मीदवारी का बनर्जी द्वारा विरोध किए जाने पर भी सवाल खड़े किए हैं.
संजय सेन ने लिखा है कि ममता दी, प्रणब दा पहले बंगाली राष्ट्रपति होंगे. मैं समझता हूं कि सभी बंगालियों को अपनी राजनीतिक सम्बद्धताओं से ऊपर उठकर उनका समर्थन करना चाहिए. क्या आप फेसबुक पर बता सकती हैं कि आप उनके खिलाफ क्यों हैं?