पश्चिम बंगाल में अपनी चतुराई और सूझबूझ की बदौलत वाममोर्चा को सत्ता से बेदखल करने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बचपन में इतनी मासूम थीं कि कई बार उनके मित्रों ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा.
एकबार वह अपनी ‘भरोसेमंद सहपाठी’ के विश्वासघात की वजह से गणित की परीक्षा में फेल कर गई थीं. इस बात का खुलासा ममता ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए हाल में प्रकाशित अपने संस्मरण ‘माई अनफॉरगेटेबल मेमोरीज’ में किया है.
उन्होंने बताया कि गणित की परीक्षा में उन्होंने 15 मिनट पहले ही सारे सवाल हल कर लिए थे. भरोसेमंद सहेली के तंग करने पर उन्होंने अपनी उत्तर पुस्तिका बदलने पर सहमति जता दी और शेष बची अवधि में अपनी सहेली की उत्तर पुस्तिका पर गणित के सवाल हल करने लगीं.
जब घंटी बजी तो ममता की उत्तर पुस्तिका उनकी सहेली के पास ही थी जिसे उसने निरीक्षक को सौंप दिया.
ममता ने पुस्तक में लिखा है, ‘हालांकि, जब परिणाम आया तो गणित को छोड़कर बाकी सभी विषयों में मैं बहुत अच्छे अंकों से पास कर गई. मैंने पुनरीक्षण के लिए कहा और पाया कि जहां मैं उसे पास कराने का प्रयास कर रही थी वहीं उसने मेरी उत्तर पुस्तिका में सारे उत्तर काट दिए थे. यह मित्र को बदला चुकाने का अच्छा तरीका था.’
ममता ने लिखा है कि उनका बचपन का संसार घर, स्कूल और खेलने तक सीमित था और उनके पास और किसी चीज के लिए वक्त नहीं था. उन्हें ‘बॉयफ्रेंड’ की भी कामना नहीं थी. ममता ने लिखा है कि जब उनकी सहेलियों का प्रेम प्रसंग चल रहा था तो वह ‘बॉयफ्रेंड’ का मतलब भी नहीं जानती थीं.
उन्होंने अपनी मौजूदगी में सहेलियों के अपने बॉयफ्रेंड से बात करने पर कैसी असहजता महसूस की थी इसको याद करते हुए लिखा है, ‘मैं ‘बॉयफ्रेंड’ शब्द का मतलब भी नहीं जानती थी और इसके बाद कुछ पूछ भी नहीं सकती थी. अगर लोग गलत समझ लेंगे तो क्या होगा. वे मेरे बारे में क्या सोचेंगे.’