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'घाघ' राजनीतिक नेता हैं मनमोहन: भाजपा

भाजपा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर आरोप लगाया कि उन्होंने देश की वर्तमान खराब अर्थव्यवस्था का सारा दोष सीधे और खुले तौर पर पूर्व वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के सिर मढ़ यह साबित कर दिया है कि एक अर्थशास्त्री के रूप में उन्हें जरूरत से ज्यादा आंका जाता है जबकि वह जितने घाघ राजनीतिक नेता हैं, उतना उन्हें समझा नहीं जाता.

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यशवंत सिन्हा
यशवंत सिन्हा

भाजपा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर आरोप लगाया कि उन्होंने देश की वर्तमान खराब अर्थव्यवस्था का सारा दोष सीधे और खुले तौर पर पूर्व वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के सिर मढ़ यह साबित कर दिया है कि एक अर्थशास्त्री के रूप में उन्हें जरूरत से ज्यादा आंका जाता है जबकि वह जितने घाघ राजनीतिक नेता हैं, उतना उन्हें समझा नहीं जाता.

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पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने यहां भाजपा मुख्यालय में प्रेस वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री के एक अखबार में छपे इंटरव्यू पर उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘प्रणब के वित्त मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उस विभाग को अब सिंह खुद देख रहे हैं लेकिन उनके बयानों से ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कोई पुरानी सरकार चली गई और अब वह उसकी भूलों को सुधार रहे हैं.’

उन्होंने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘प्रणब के रूप में वित्त मंत्री की आत्मा को शांति दे भगवान.’

उन्होंने कहा, सबसे हास्यास्पद बात यह है कि मनमोहन प्रणब के फैसलों को अब अपने से अलग करके दिखाने का प्रयास कर रहे हैं. वह कह रहे हैं कि पिछले कुछ फैसलों को बदलना होगा.

सिन्हा ने कहा कि जबकि हकीकत यह है कि किसी भी वित्त मंत्री के बजट प्रस्तावों और यहां तक कि उसके बजट भाषण को प्रधानमंत्री ही अंतिम अनुमति देता है.

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उन्होंने कहा कि प्रणब मुखर्जी और पी चिदंबरम जैसे संप्रग सरकार के पूर्व वित्त मंत्रियों के समय किए गए फैसलों से प्रधानमंत्री खुद को अलग नहीं कर सकते हैं. हमारी व्यवस्था उन्हें ऐसा करने की इजाज़त नहीं देती.

यह पूछे जाने पर कि देश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था का दोष क्या प्रधानमंत्री परोक्ष रूप से प्रणब के सिर मढ़ रहे हैं, भाजपा नेता ने कहा, ‘परोक्ष नहीं, सीधे और खुले रूप से प्रणब को दोष दे रहे हैं, जो कि कुछ दिन पहले तक उनके सबसे वरिष्ठ सहयोगी थे. यही नहीं, ऐसा भी नहीं है कि प्रणब रिटायर हो गए हैं, बल्कि वह तो अब देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के उम्मीदवार हैं.’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आज वित्त मंत्री के तौर पर प्रणब के फैसलों से खुद को दूर करके दोष उन्हें दे रहे हैं, जबकि वह उन सब फैसलों के साझेदार रहे हैं. वह तब भी टुकुर टुकुर देख रहे थे और अब भी टुकुर टुकुर देख रहे हैं.’

प्रधानमंत्री पर प्रहारों की बौछार जारी रखते हुए सिन्हा ने कहा कि मनमोहन का पूरी जिंदगी अपनी जिम्मेदारियों और जवाबदेही से बच कर निकलने के प्रयास वाला बर्ताव रहा.

उन्होंने कहा कि सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में तमाम भ्रष्टाचार हुए लेकिन वह सरकार के सरपरस्त होते हुए भी ‘कीचड़ में कमल बने रहना चाहते हैं.’

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यह पूछे जाने पर कि प्रणब को क्या इसी कारण राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया कि अर्थव्यवस्था की गड़बड़ी का दोष उनके मत्थे मढ सरकार अपनी छवि साफ रख सके, उन्होंने कहा, ‘शायद’.

प्रधानमंत्री के इंटरव्यू के कथ्य के बारे में उन्होंने कहा कि उसे पढ़ कर ऐसा लगा कि प्रधानमंत्री नहीं बल्कि सरकार का मुख्य सलाहकार बोल रहा हो कि हमें यह करना चाहिए वह करना चाहिए लेकिन एक जगह भी यह नहीं कहा कि यह करेंगे, वह करेंगे.

सिंह के इंटरव्यू को सिन्हा ने ‘पराजय, हताशा और अंधेरे भविष्य का बयान’ करार दिया.

बहरहाल उन्होंने मनमोहन को इस बात की बधाई दी कि ‘एक ज़माने बाद ही सही, उन्होंने अपना मुंह तो खोला.’

इंटरव्यू में प्रधानमंत्री की इस बात पर उन्होंने कड़ी आपत्ति जताई कि संप्रग सरकार को राजग के छह साल के शासन के गलत फैसलों को ठीक करने में अपना काफी समय लगाना पड़ा.

सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हालांकि इसी इंटरव्यू में यह सच्चाई स्वीकार की है कि उनकी सरकार में राजनीतिक आम सहमति नहीं है, जिसके चलते कई महत्वपूर्ण फैसले नहीं हो सके हैं.

सरकार के सुधार कार्यक्रमों में भाजपा के समर्थन देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने विपक्ष से सहयोग मांगा ही नहीं है. फिर भी हम हर उचित कदम का समर्थन करेंगे.

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