वैश्विक स्तर पर खराब स्थिति तथा घरेलू मोर्चे पर ऊंची ब्याज दरों के दौर के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 7 से 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.
पिछले वर्ष आर्थिक वृद्धि 8.4 फीसद रही थी. प्रधानमंत्री ने मुख्य सचिवों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘2011-12 में वृद्धि दर 7 से 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चितता की वजह से वृद्धि दर में कमी आएगी.’
बीते वित्त वर्ष की 8.4 प्रतिशत की वृद्धि दर के बारे में सिंह ने कहा कि संकटग्रस्त दुनिया को देखते हुए यह शानदार प्रदर्शन था. उन्होंने कहा, ‘कठिन आर्थिक माहौल, विशेषकर यूरो क्षेत्र के बढ़ते संकट के साथ साथ मौद्रिक नीति को सख्त किए जाने के कारण वृद्धि दर प्रभावित हुई है.’ सिंह ने कहा कि महंगाई के मोर्चे पर राहत मिलती दिख रही है, लेकिन खाद्य वस्तुओं की महंगाई पर अंकुश के लिए कृषि उत्पादन और उत्पादकता में निरंतर बढ़ोतरी जरूरी है.
उन्होंने कहा, ‘यहीं पर राज्य सरकारों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है.’ प्रधानमंत्री ने राज्यों का आह्वान किया कि वे कृषि अनुसंधान में आधुनिक प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करें. क्षेत्र में सरकारी निवेश बढ़ाया जाए और कृषि विपणन प्रणाली में सुधार लाया जाना चाहिये.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कृषि उपज विपणन कानून की समीक्षा और उसमें संशोधन की जरूरत है. इससे किसान अपनी उपज को खुदरा दुकानों पर लाएंगे और रिटेलरों को सीधे किसानों से खरीद की सुविधा मिलेगी. इससे किसानों को बेहतर मूल्य मिल सकेगा, बर्बादी कम होगी और खुदरा बाजार में कीमतों में प्रतिस्पर्धा आएगी.’
सिंह ने राज्यों के मुख्य सचिवों से कहा कि इस बात पर सावधानी से विचार करें कि किस तरह राज्य राष्ट्रीय विनिर्माण नीति का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं. एक दशक में देश के सकल घरेलू उत्पादन में विनिर्माण क्षेत्र के योगदान को 25 फीसद तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. इससे 10 करोड़ रोजगार के अवसर पैदा होंगे. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कंप्यूटरीकरण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक वास्तविकता बन सकता है. इसके लिए पीडीएस को सुधारना होगा और इसमें तेज तथा प्रभावी तरीके से सुधार करना होगा.
उन्होंने कहा, ‘मैं आपसे कहूंगा कि पीडीएस के पूर्ण कंप्यूटरीकरण पर ध्यान दिया जाए. इससे हम खाद्य सुरक्षा विधेयक के कानून बनने पर इसे प्रभावी तरीके से लागू करने में सक्षम होंगे.’ सिंह ने कहा कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में कमी एक अन्य चिंता की वजह है. यह देश के विकास को आगे बढ़ाने की राह में एक बड़ी बाधा है.
प्रधानमंत्री ने राज्यों से सड़कों, राजमार्गों और सिंचाई सुविधाओं पर ज्यादा जोर देने को कहा. उन्होंने मुख्य सचिवों का ध्यान कौशल विकास के महत्व की ओर भी दिलाया. प्रधानमंत्री ने कहा कि 2018 तक देश को 26 करोड़ कुशल कामगारों की जरूरत होगी.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारी सरकार ने कौशल विकास के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें सीमित सफलता मिली है. हम चाहते हैं और हम और अधिक करेंगे.’ सिंह ने कहा कि कुछ राज्यों द्वारा कौशल विकास पर अच्छा काम किया गया है. उन्होंने कहा, ‘मैं सभी राज्यों से कहूंगा कि वे राष्ट्रीय महत्व के इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाएं.’