प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय कठिन दौर’ से गुजर रही है और चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत तक ही रह सकती है. सिंह ने साथ में उम्मीद जाहिर की कि आने वाले वर्ष में अर्थव्यवस्था अपनी लय पकड़ लेगी और देश फिर 9 से 10 प्रतिशत वाषिर्क वृद्धि की राह पर चल पड़ेगा.
प्रधानमंत्री ने 10वें प्रवासी भारतीय दिवस का उद्घाटन करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है इसलिए भविष्य को लेकर कोई आशंकाएं नहीं हैं. उन्होंने उच्च बचत दर भारतीय अर्थव्यवस्था की बड़ी ताकत बताते हुए कहा कि घरेलू बचत दर इस समय औसतन सकल घरेलू उत्पाद के 33 से 35 प्रतिशत के बीच है. इससे अर्थव्यवस्था को वृद्धि के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी.
उन्होंने विश्व भर से जुटे प्रमुख भारतवंशियों से कहा कि हमारा देश भी कठिन दौर से गुजर रहा है. हालांकि हमारी अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है. हमारी संवैधानिक व्यवस्था भी सशक्त है और हम मौजूदा चुनौतियों का सामना करने के लिये तैयार हैं.
सिंह ने कहा कि कठिन वैश्विक परिवेश के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 7 प्रतिशत वृद्धि दर्ज कर सकती है. पिछले वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि 8.5 प्रतिशत थी जबकि चालू वित्त वर्ष में शुरू में आर्थिक वृद्धि दर 9 प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना व्यक्त की गयी थी.
तीन दिन चलने वाले प्रवासी दिवस सम्मेलन में 60 देशों में रह रहे भारतवंशी समुदाय के 1900 से अधिक चुनिंदा उद्यमी, नीति नियामक और गणमान्य व्यक्ति भाग ले रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि मजबूत आर्थिक बुनियाद की बदौलत आने वाले वर्ष में अर्थव्यवस्था अपनी लय पकड़ लेगी और देश फिर 9 से 10 प्रतिशत वाषिर्क वृद्धि की राह पर चल पड़ेगा.
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने भी मुंबई में एक समारोह में कहा था कि आने वाला समय देश की अर्थव्यवस्था के लिये मुश्किल भरा है और चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि की दर 7.5 प्रतिशत से कम रह सकती है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान 4.6 के अनुमानित राजकोषीय घाटे को हासिल करना मुख्य चुनौती होगी.
प्रधानमंत्री ने मुद्रास्फीति के संबंध में कहा कि मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिये हमने जो प्रयास किये और उसका परिणाम आने लगा है और स्थिति सुधर रही है. सकल मुद्रास्फीति नवंबर में थोड़ी नरम होकर 9.1 प्रतिशत रही जबकि खाद्य मुद्रास्फीति का शून्य से नीचे चली गयी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व कठिन दौर से गुजर रहा है, ऐसे में रोजगार के अवसर वैश्विक स्तर पर कम हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि आपमें से कई वैश्विक आर्थिक नरमी के प्रभाव को महसूस कर रहे हैं. रोजगार अवसर घटे हैं, संरक्षणवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है और आव्रजन को लेकर रूख भी कड़ा हुआ है. जो समाज ज्यादा खुले थे, वहां भी सामाजिक असहिष्णुता देखने को मिल रही है.