आमतौर पर यह माना जाता है कि सहनशीलता में महिलाएं पुरुषों से बहुत आगे होती हैं. सहनशीलता के इसी गुण के कारण महिलाओं की तुलना धरती माता से भी की जाती रही है. लेकिन हाल में हुए एक शोध में इससे विपरीत दावा किया गया है.
अधिक दर्द बर्दाश्त कर सकते हैं पुरुष
हर महिला खुद को भले ही झांसी की रानी समझती हो, लेकिन वैज्ञानिक एक अध्ययन के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि पुरुष महिलाओं से अधिक दर्द बर्दाश्त कर सकते हैं. पुरुष
अपने चेहरे पर शिकन तक नहीं आने देते, क्योंकि वे खुद को मजबूत पुरुष के रूप में दिखाना चाहते हैं.
दर्द के विभिन्न पहलुओं पर शोध
लीड्स मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी द्वारा करवाए गए अध्ययन में दर्द को सहने की ताकत और उसके प्रति महिलाओं और पुरूषों के दृष्टिकोण का पता लगाने का प्रयास किया गया. दर्द विषय की विशेषज्ञ डॉ. ओसामा तशानी ने 200 ब्रिटिश और लीबियाई छात्र कार्यकर्ताओं को भर्ती किया और उन पर दर्द के संबंध में विभिन्न प्रकार के प्रयोग किए.
महिलाएं दर्द के प्रति ज्यादा संवेदनशील
तशानी ने बताया कि लैंगिकता दर्द के संबंध में काफी मायने रखती है क्योंकि महिलाएं दर्द के प्रति अधिक संवेदनशीलता रखती हैं .उन्होंने एक बयान में बताया, ‘पारंपरिक रूप से आत्मसंयम को पुरुषों से और संवेदनशीलता को महिलाओं से जोड़कर देखा जाता है. दर्द के संबंध में कुछ समूहों को अधिक आत्मसंयम बरतने वाला माना जाता है जबकि अन्य समूह अपने दर्द का बखान करने में अधिक बेबाक होते हैं.’