बीजेपी नेता सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया है कि वे नीलामी नीति का श्रेय खुद लेना चाहते थें. सुषमा स्वराज ने पत्रकारों से कहा कि 2004 में बीजेपी ने नीलामी नीति बनाई, फिर क्या कारण था कि यह नीति 2012 तक लागू नहीं हो पाई. सुषमा स्वराज ने कहा कि 2006 से 2010 तक हुए सभी 142 कोल खदानों का आवंटन रद्द होना चाहिए. बीजेपी ने कहा कि इस आवंटन से देश को 10 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ है.
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि अगर विकास के लिए कोयला खादान आवंटन किया गया था वह विकास कहां हुआ, बिजली की स्थिति क्यों नहीं दुरूस्त हुई.
इसी प्रेस कांफ्रेंस में बीजेपी नेता अरुण जेटली ने कहा कि जो भी संसद में हुआ, वह संविधान और संवैधानिक संस्था पर हमला था. जेटली ने कहा कि यूपीए ने कोल आवंटन में कोई पारदर्शिता नहीं बरती, किस आधार पर कोयला खदान आवंटित करने के लिए आवेदन को स्वीकार किया गया, यह भी कही नहीं दिखता है.
जेटली ने कहा कि नुकसान के लिए कभी राज्य सरकार पर या कानून मंत्रालय पर दोषारोपण कर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते हैं. जेटली ने कहा कि उन्हें कोयला आवंटन के मामले में पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए.