यूपी का चुनावी मैदान जबरदस्त रोमांच से भरा होगा. इसका संकेत मायावती ने पहले ही राज्य का बंटवारा और मुस्लिमों को आरक्षण दिए जाने की बात को लेकर दे दिया है. वहीं कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी माया सरकार के विरोध में ताल ठोकर जंग का ऐलान कर चुके हैं. उधर केंद्र सरकार भी अपने तरकश के सारे तीर माया सरकार पर छोड़ रही हैं.
मनरेगा के नाम पर जयराम रमेश का धमकी भरा पत्र, जनता के बीच आक्रोश पैदा कर व्यवस्था के प्रति गुस्सा दिखाने का राहुल का आह्वान और अब देश के कानून मंत्री द्वारा मुस्लिमों को आरक्षण दिए जाने की बात. यह सबकुछ उस समय किया जा रहा है जब यूपी में चुनाव के तारीखों की घोषणा कभी भी हो सकती है.
भारत बंद के बीच देश के कानून मंत्री सलमान खुर्शीद का बयान आया है कि सरकार मुस्लिमों को आरक्षण देने पर विचार कर रही है. सलमान खुर्शीद का कहना है कि मुस्लिमों को ओबीसी के लिए निर्धारित कोटे में ही आरक्षण दिया जा सकता है.
खुर्शीद ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार शैक्षिक नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत कोटे में पिछले मुस्लिमों के लिए कोटा तय करने पर विचार कर रही है.’
उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग में पिछड़े मुस्लिमों के लिए आरक्षण का कोटा निर्धारित करने का निर्णय जल्द से जल्द किया जाएगा. उन्होंने हालांकि कोई भी स्पष्ट समयसीमा बताने से इनकार कर दिया.
सरकार की ओर से यह निर्णय उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए किया जा सकता है क्योंकि वहां पर मुस्लिमों की अच्छी संख्या है.
उन्होंने कहा, ‘हमने संसद में अपने कार्यकाल के ढाई वर्ष पूरे कर लिये हैं. इसलिए हमने जो भी वादा किया था उसे पूरा करने का समय आ गया है. इस संबंध में निर्णय जल्द ही मंत्रिमंडल के सामने आएगा.’ उन्होंने कहा कि यह मुद्दा पिछले दो वर्षों से सरकार के एजेंडे में था और इस पर निर्णय लंबित था इसलिए इस पर निर्णय जल्द होना चाहिए.
सलमान ने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ इस मसले पर विचार विमर्श हुआ है. बात कोटे के अंतर्गत कोटा की हो रही है और संभव है मुस्लिमों को 6 से 7 फीसदी आरक्षण दिया जाए. इस मामले में फैसला संभवतः अगले हफ्ते तक हो जाए.
इससे पहले मायावती ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पत्र लिखकर मुस्लिमों को अलग से आरक्षण दिए जाने की मांग की. हालांकि मायावती के इस पत्र पर कई प्रतिक्रिया भी सुनने को मिली जिसमें यह कहा गया कि अलग से मुस्लिमों को आरक्षण दिया जाना संभव नहीं है.
ज्ञात हो कि मुस्लिमों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को लेकर जस्टिस सच्चर की रिपोर्ट अभी भी केंद्र सरकार के पास है जिसमें मुस्लिमों को आरक्षण दिए जाने की बात कही गई है.
इतना ही नहीं केंद्र सरकार इसके साथ ही शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण चाहती है. सूत्रों के मुताबिक एससी, एसटी आयोग के अध्यक्ष डीएल पुनिया इस आरक्षण के पक्ष में हैं.
मंगलवार को ही उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के उस पत्र को भी मीडिया में जारी किया गया था जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अल्पसंख्यक, विशेषकर मुस्लिम समुदाय के उत्थान के लिये लम्बित पड़ी केंद्रीय राशि के संबंध में लिखा था. मायावती ने 24 नवंबर को यह पत्र प्रधानमंत्री को भेजा था, जिसे बुधवार को मीडिया में जारी किया गया.
मायावती ने लिखा था कि वर्ष 1995 से ही विभिन्न चरणों में अन्य पिछड़े वर्गो के लिए लोक सेवाओं में आरक्षण व्यवस्था के अन्तर्गत मुस्लिम समुदाय के पिछड़े वर्गो को जाति प्रमाण पत्र देने की व्यवस्था की गई. इसके अलावा 38 जातियों/उप जातियों को अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में सम्मिलित करके उन्हें आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है.
गौरतलब है कि अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षिक विकास के लिए शैक्षणिक संस्थाओं को अल्पसंख्यक संस्था घोषित करने के उद्देश्य से संविधान के अनुच्छेद 201 के अन्तर्गत केंद्र सरकार की अनुमित प्राप्त करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान प्राधिकरण विधेयक- 2011 भी प्रस्तावित किया गया है, जो केंद्र सरकार की स्वीकृती के लिए अभी भी लम्बित है.
ओबीसी कोटे में 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है जिससे अन्य पिछड़ा वर्ग लाभान्वित होते हैं.