कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच पिछले एक सप्ताह से चल रहा गतिरोध बुधवार शाम समाप्त हो गया.
संप्रग में बेहतर समन्वय के लिए दिल्ली और महाराष्ट्र में समन्वय समिति गठित किये जाने की एनसीपी की मांग पर कांग्रेस राजी हो गयी.
एनसीपी प्रमुख शरद पवार और पार्टी के प्रमुख नेता प्रफुल्ल पटेल ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और और एक हफ्ते से जारी गतिरोध पर चर्चा की.
बैठक में समन्वय समिति गठित किये जाने का निर्णय किया गया. इन दोनों नेताओं ने एक सप्ताह पहले गठबंधन के कामकाज के तौर तरीके पर चिंता जताते हुए बेहतर समन्वय की मांग करते हुए मंत्रिमंडल से इस्तीफे की पेशकश की थी.
ये दोनों ने मंत्रिमंडल की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया और अपने अपने मंत्रालय भी नहीं गये थे. बैठक के बाद दोनों दलों की ओर से जारी बयान में कहा गया कि संप्रग के अंदर कारगर समन्वय तंत्र की स्थापना की जायेगी जिसमें सहयोगी दल महीने में एक बार बैठक कर नीति एवं अन्य मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे.
नेताओं ने यह भी निर्णय किया कि महाराष्ट्र कांग्रेस एनसीपी गठबंधन सरकार के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए पहले से बनी समन्वय समिति को सक्रिय बनाया जायेगा.
बयान में कहा गया कि नेताओं ने संप्रग को और मजबूत बनाने का संकल्प जताया.
संप्रग सरकार के आठ साल के अंदर यह पहला मौका है जब सहयोगी दलों की समन्वय समिति बनायी जा रही है. संप्रग-1 सरकार के दौरान कांग्रेस और वाम दलों की इस तरह की समन्वय समिति थी. करीब एक घंटे की इस मुलाकात के बाद राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि दिल्ली में संप्रग सरकार और महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी सरकार में बेहतर समन्वय पर जोर दिया गया ताकि गठबंधन की एक सकारात्मक तस्वीर जनता के सामने रहे.
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों जो कुछ भी (मतभेद) हुआ वह समाप्त हो गया है.
पटेल ने कहा कि दिल्ली में गठित होने वाली समन्वय समिति की अध्यक्षता सोनिया गांधी करेंगी. उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में भी इसी तरह की समिति गठित की जायेगी जहां दोनों दलों की गठबंधन सरकार है. इस समिति में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, उप मुख्यमंत्री अजित पवार और दोनों दलों के केन्द्रीय नेतृत्व के प्रतिनिधि शामिल होंगे.
एनसीपी नेता ने कहा कि उनकी पार्टी 2014 के चुनाव तक संप्रग के साथ बनी रहेगी. एनसीपी संप्रग सरकार का महत्वपूर्ण हिस्सा है और एनसीपी कोटे के मंत्री अपने दायित्वों का पूरी जिम्मेदारी के साथ निर्वाह करेंगे.