रायसीना की रेस में शुक्रवार बेहद अहम दिन है. आज एक तरफ यूपीए की बैठक हो रही है तो दूसरी तरफ एनडीए की. यानी राष्ट्रपति पद के लिए आधिकारिक तौर पर किसी का नाम उभर कर सामने आ सकता है. फिलहाल अब जंग दो नामों के बीच बची है. एक तरफ कलाम हैं और दूसरी तरफ प्रणब.
आंकड़ों के खेल में दोनों के पास बहुमत नहीं है. फिर भी दोनों के लिए कवायद तेज हो गई है.
गौरतलब है कि दो दिन पहले तक प्रणब दा का राष्ट्रपति के लिए चुनाव लगभग पक्का माना जा रहा था. फिर एक दिन पहले सियासत की इस बिसात पर कई चेहरे एक साथ उभर आए जो राष्ट्रपति भवन की तरफ बढ़ते हुए दिख रहे थे.
लेकिन दिन के खत्म होते-होते इस रेस में बस दो नाम रह गए. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी.
असल में रायसीना की इस रेस को इस कदर बदलने वाली हैं ममता बनर्जी. UPA प्रणब मुखर्जी के नाम के एलान से पहले जीत के गणित का हर हिसाब करने में जुटी है. लेकिन, ममता ने बेबाक होकर कलाम को नंबर वन उम्मीदवार बता दिया है.
आ्रंकड़ों का खेल
प्रणब मुखर्जी के पास तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को छोड़कर यूपीए के बाकी घटक सपोर्ट करते हैं. तो करीब 31 फीसदी वोट मिलेंगे. डीएमके, बीएसपी और लेफ्ट के वोट जोड़ दें तो दादा करीब 42 प्रतिशत वोट हासिल कर सकते हैं जबकि राष्ट्रपति बनने के लिए चाहिए पचास फीसदी से ज्यादा वोट.
अगर मुलायम अपने छह फीसदी वोट के साथ दादा का समर्थन कर दें तो भी दादा जादुई आंकड़े से करीब दो परसेंट पीछे ही रहेंगे.
उधर कलाम के साथ टीएमसी, समाजवादी पार्टी के साथ-साथ एनडीए और एआईएडीएमके के वोट हैं. और उन्हें 42 फीसदी वोट मिल सकते हैं.
लेकिन अगर मुलायम ममता के साथ नहीं हैं, तो कलाम के वोट छत्तीस परसेंट से आगे बढ़ते नहीं दिखते.
जीत के लिए जादुई आंकड़ा जुटाने में प्रणब की सियासी सूझबूझ काम आ सकती है. सूत्रों के मुताबिक, इस मुद्दे पर लेफ्ट नेताओं से बातचीत भी हो रही है.
मुलायम सिंह बनेंगे किंगमेकर?
रायसीना की रेस में क्या मुलायम सिंह बनेंगे किंगमेकर? यूपीए को उहापोह में छोड़ मुलायम सिंह दिल्ली से लखनऊ रवाना हो रहे हैं. लेकिन, मुलायम के रुख को नई अटकलें शुरू हो गई हैं. क्या मुलायम सिंह यादव और ममता बनर्जी के बीच राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर मतभेद उभर आए हैं?
गुरुवार को मुलायम से मिलकर जब ममता बाहर निकलीं तो मुलायम उनके साथ नहीं थे. हालांकि, ममता का कहना था कि एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर मुलायम की पूरी सहमति है.
ममता-मुलायम के बीच केमेस्ट्री बदलने की अटकलों को तब और बल मिला जब तृणमूल के राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष देर रात फिर मुलायम के घर पहुंच गए. हालांकि, समाजवादी पार्टी और तृणमूल रिश्तों में दरार से साफ इनकार रही है.
ऊपरी तौर पर समाजवादी पार्टी के नेता कुछ भी कहें लेकिन सूत्रों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि मुलायम सिंह अपने दल के वरिष्ठ सहयोगियों के साथ विचार विमर्श करने के बाद ही कोई आखिरी फैसला लेंगे. पार्टी सूत्रों के मुताबिक समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रपति उम्मीदवार पर आखिरी फैसला नहीं लिया है. उधर, कांग्रेस सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि मुलायम को मना लिया जाएगा.
ममता बनर्जी बनी मुश्किल
राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के लिए मुश्किल बन गई हैं ममता बनर्जी. राष्ट्रपति चुनाव पर यूपीए की बैठक हो रही है लेकिन ममता इसमें शामिल नहीं होंगी.
अपनी तरफ से उम्मीदवार घोषित कर यूपीए की किरकिरी कराने के बावजूद ममता ने साफ कर दिया है कि वो यूपीए में बनी रहेंगी. ममता के ये तेवर नए नहीं हैं. वो पहले भी कांग्रेस को मुश्किल में डाल चुकी हैं.
चाहे रेल बजट के अगले रोज रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को बदलने का मुद्दा हो या फिर तीस्ता नदी के जल बंटवारे पर करार के वक्त प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का साथ ना देना. ममता ने हमेशा चौंकाया और हर बार कांग्रेस झुकती भी रही.
लेकिन, इस बार लगता है राष्ट्रपति की रेस में ममता का दांव कहीं आखिरी साबित ना हो जाए.