संप्रग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के खिलाफ उम्मीदवार उतारने की राजग के अधिकतर घटक दलों की अनिच्छा के चलते भाजपा भारी पसोपेश में फंसी दिख रही है. उसके नेतृत्व वाले राजग की पिछली दो बैठकों में इस बारे में कोई फैसला नहीं हो पाने के बाद मंगलवार को होने वाली इस विपक्षी गठबंधन की बैठक को मजबूरन टालना पड़ा.
विचारधारात्मक स्तर पर भाजपा के सबसे करीबी और सबसे पुराने सहयोगी दल शिव सेना ने सार्वजनिक तौर पर मुखर्जी को समर्थन देने का ऐलान करके उसे बड़ा झटका दिया है. शिव सेना ने राष्ट्रपति पद के लिए हुए पिछले चुनाव में भी राजग के उम्मीदवार भैरों सिंह शेखावत की बजाए ‘मराठी मानुष’ के नाम पर कांग्रेस की प्रत्याशी प्रतिभा पाटिल के पक्ष में मतदान किया था.
राजग का एक अन्य प्रमुख घटक दल जदयू भी मुखर्जी के विरूद्ध उम्मीदवार नहीं उतारने के पक्ष में है. शिरोमणि अकाली दल के बारे में भी यही कहा जा रहा है.
यही नहीं मेनका गांधी और शत्रुध्न सिन्हा जैसे स्वयं भाजपा के वरिष्ठ नेता भी मुखर्जी का खुला समर्थन कर चुके हैं. बताया जाता है कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा भी मुखर्जी के विरूद्ध राजग का उम्मीदवार खड़ा किए जाने के खिलाफ है.
इन सबके बीच भाजपा अभी भी पूरी कोशिश में है कि 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए नए राजनीतिक समीकरण बनाने की कवायद में मुखर्जी को बिना किसी चुनौती के नहीं छोड़ा जाए. उसका मानना है कि ऐसा होना समूचे विपक्ष के लिए घातक होगा, क्योंकि इससे संप्रग के मुकाबले विपक्ष एकदम कमजोर नजर आएगा.
भाजपा चाहती है कि एपीजे अब्दुल कलाम के मना कर देने के बाद राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए पी ए संगमा को समर्थन देना चाहिए क्योंकि बीजद और अन्नाद्रमुक उनके पक्ष में पहले ही लामबंदी कर चुके हैं.
भाजपा को लगता है कि ऐसा करने से राजग का दायरा बढ़ने की संभावनाएं भी बढेंगी. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने अपना नाम नहीं देने के आग्रह पर कहा, ‘भाजपा में आम राय यह है कि राजग को मुखर्जी के खिलाफ उम्मीदवार उतारना चाहिए, भले ही वह केवल प्रतीकात्मक क्यों न हो. ऐसा नहीं करने से मुख्य विपक्षी गठबंधन बहुत कमजोर नजर आएगा.’
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के बीच सोमवार और मंगलवार को कई दौर का विचार विमर्श चला. लेकिन कोई भी नेता कुछ कहने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि अंतिम निर्णय राजग की बैठक में किया जाएगा.
इस बारे में राजग की दो नाकाम बैठकें हो चुकी हैं और मंगलवार को होने वाली तीसरी बैठक को टाल दिया गया. अगली बैठक की तिथि अभी तय नहीं की गई है.
राजग की अगली बैठक से पहले भाजपा नेता अपने सहयोगी दलों को मुखर्जी के खिलाफ उम्मीदवार उतारने का हर संभव प्रयास कर लेने देना चाहते हैं.