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UPA की घोषणा के बाद NDA करेगा फैसलाः आडवाणी

राष्ट्रपति पद के चुनाव में बदलते राजनीतिक समीकरण एवं गहमागहमी के बीच राजग ने अपने पत्ते नहीं खोले. भाजपा नीत इस गठबंधन ने कांग्रेस नीत संप्रग का उम्मीदवार सामने आने और बदलते राजनीतिक समीकरणों के स्पष्ट होने तक प्रतीक्षा करने का फैसला किया है.

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राष्ट्रपति पद के चुनाव में बदलते राजनीतिक समीकरण एवं गहमागहमी के बीच राजग ने अपने पत्ते नहीं खोले. भाजपा नीत इस गठबंधन ने कांग्रेस नीत संप्रग का उम्मीदवार सामने आने और बदलते राजनीतिक समीकरणों के स्पष्ट होने तक प्रतीक्षा करने का फैसला किया है.

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राष्ट्रपति पद के चुनाव के बारे में विचार विमर्श के लिए बुलाई गई राजग की 90 मिनट तक चली बैठक के बाद गठबंधन के कार्यकारी अध्यक्ष एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, ‘आज की बैठक राष्ट्रपति पद के चुनाव के संदर्भ में बुलाई गई थी लेकिन यह बैठक कोई निर्णय करने के लिए नहीं थी. हमने घटक दलों के साथ विचारों का आदान प्रदान किया और इस विषय पर अब तक की राजनीतिक घटनाओं का सिंहावलोकन किया.’

2012 के राष्ट्रपति चुनाव की तुलना 1969 के चुनाव से करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम किसी जल्दबाजी में नहीं हैं. हम आगे भी इस विषय पर चर्चा करेंगे. इस विषय पर कोई ठोस निर्णय करने की स्थिति आने पर हम फिर मिलेंगे. इस विषय पर हम राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी चर्चा करेंगे.’

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आडवाणी ने कहा कि शुक्रवार को शाम चार बजे संप्रग की बैठक है, पहले उनको नाम की घोषणा करने दीजिए. हम सभी घटनाक्रमों एवं गतिविधियों पर करीबी नजर रखे हुए हैं.’ आडवाणी ने कहा कि राष्ट्रपति पद के चुनाव के मुद्दे पर हमने सभी गैर कांग्रेसी दलों, खास कर विपक्षी दलों के संपर्क में रहने का फैसला किया है.

गौरतलब है कि संप्रग सरकार में शामिल तृणमूल कांग्रेस ने राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों के नामों को अस्वीकार करते हुए सभी राजनीतिक दलों से पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम का समर्थन करने को कहा है. तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि कलाम सपा और तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार हैं.

वहीं, सरकार को बाहर से समर्थन दे रही सपा ने राष्ट्रपति पद के लिए प्रणब के नाम पर बातचीत का रास्ता खुला रखने का संकेत देते हुए मध्यावधि चुनाव चाहने की अटकलों पर आज विराम लगाते हुए कहा कि वह ऐसी स्थिति के पक्ष में है.

आडवाणी ने कहा, ‘सरकार और उसके घटक दलों में आपसी विश्वास की भारी कमी है. स्वतंत्र भारत में पंडित नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक यह पहली सरकार है जिसमें सामंजस्य और आपसी संवाद का पूर्ण अभाव है.’

उन्होंने कहा कि सरकार में विभिन्न स्तरों पर सामंजस्य की कमी के कारण देश को आज आर्थिक मोर्चे पर काफी खराब हालात से गुजरना पड़ रहा है, वहीं जिस तरह से राष्ट्रपति चुनाव के विषय को आगे बढ़ाया गया, उससे राजनीति को नुकसान पहुंच रहा है.

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भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि सत्तारूढ गठबंधन में शीर्ष स्तर पर संपर्क टूटा हुआ है. यह सभी स्तरों पर दिखता है. यह इस बात से भी स्पष्ट होता है कि सत्तारूढ गठबंधन का एक घटक (तृणमूल कांग्रेस) प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ही राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की बात करता है.

उन्होंने कहा कि गुरुवार को चेन्नई में उनकी तमिलनाडु की मुख्यमंत्री से चर्चा हुई और उन्होंने भी इसी तरह की बात कही.

आडवाणी के आवास पर राजग की बैठक में राजग के संयोजक शरद यादव, भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के पेता अरूण जेटली, भाजपा नेता जसवंत सिंह, वेंकैया नायडू, शिवसेना के संजय राउत, अनंत गीते, अकाली दल के नरेश गुजराल, जनता पार्टी के सुब्रमण्यम स्वामी आदि मौजूद थे.

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