प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की समीक्षा रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस योजना से अब तक पांच करोड़ परिवारों को फायदा पहुंचा है. इस योजना से अब तक देश के ग्रामीण 37 हजार करोड़ रुपए कमा चुके हैं. प्रधानमंत्री ने इस योजना को यूपीए की सबसे सफल योजना बताने में भी देर नहीं लगायी.
इस योजना में हर साल 12 करोड़ जॉब कार्ड जारी हुए हैं और 80 प्रतिशत मजदूरी सीधे मजदूरों के खातों में पहुंच रही है. ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा तैयार यह रिपोर्ट करीब 122 पेज की है.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को सफल करार देते हुए कहा कि इस कार्यक्रम के तहत श्रमिकों की विलंबित भुगतान की समस्या का जल्द समाधान होना चाहिए. प्रधानमंत्री ने साथ ही कहा कि सभी ग्रामीण विकास योजनाओं का समवर्ती लेखापरीक्षण हो.
प्रधानमंत्री ने संप्रग की प्रमुख योजना मनरेगा के अनुसंधान अध्ययन के संकलन ‘मनरेगा समीक्षा’ को जारी करने के अवसर पर दिये अपने संबोधन में कहा, ‘मुझे (ग्रामीण विकास मंत्री) जयराम रमेश से यह सुनकर आश्चर्य होता है कि समवर्ती लेखापरीक्षण प्रक्रिया अच्छी हालत में नहीं है. लंबे समय पहले जब मैं योजना आयोग में था, तो मेरा मानना है कि हमने ग्रामीण विकास के कई कार्यक्रमों का समवर्ती मूल्यांकन कार्यक्रम शुरू किया था.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि यदि वे सुस्त हैं, तो क्यों सुस्त हैं लेकिन मैं योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलुवालिया से अनुरोध करूंगा कि वह इस कमी को दूर करने में भी अपना दिमाग लगायें.’ इस कार्यक्रम में रमेश और आहलुवालिया दोनों उपस्थित थे. मनमोहन ने सूचनाओं के बारे में विस्तृत विवरण को विकास योजनाओं को देखने का एक ‘अभिनव तरीका’ करार दिया.
सिंह ने कहा कि यह संप्रग सरकार की सबसे लोकप्रिय और सफल कार्यक्रम है. उन्होंने कहा, ‘आंकड़े पूरी कहानी बयान नहीं करते. महात्मा गांधी नरेगा के आंकड़ों की कहानी उसकी सफलता बयान करते हैं. समग्रता के मामले में यह एक सफल योजना है. हाल में कोई भी कल्याणकारी योजना ने लोगों का ध्यान उतना आकषिर्त नहीं किया जितना कि मनरेगा ने किया है.’
प्रधानमंत्री ने मनरेगा योजना में कार्यरत श्रमिकों को होने वाले भुगतान में विलंब पर कहा, ‘हम जल्द भुगतान में विलंब की समस्या को दूर कर लेंगे, मेरा मानना है कि निकट भविष्य में बेहतर परिणाम सामने आएंगे.’ उन्होंने इसे उत्साहजनक बताया कि आंध्र प्रदेश में आंकड़ों की प्रविष्टि समय से हो रही है तथा मजदूरी के भुगतान आदेश आनलाइन जारी किये जाते हैं. ‘इससे विलंबित भुगतान के मुद्दे का सीधे समाधान होता है और इसे अन्य जगहों में भी अपनाया जाना चाहिए.’
सिंह ने कहा कि ग्रामीण भारत को बार बार आने वाली परेशानियों और प्राकृति आपदाओं से मुकाबला करने में इस योजना से मदद मिली है. उन्होंने कहा, ‘विस्तारित कृषि उत्पादन, निर्माण क्षेत्र से श्रमिकों की मांग और मनरेगा के संयुक्त प्रभाव से कृषि श्रमिकों की मांग बढ़ी है जिससे वास्तविक मजदूरी में स्थिर वृद्धि हुई है. किसान इसे लेकर कभी कभी शिकायत भी करते हैं लेकिन श्रमिकों की मांग बढ़ाना ही वह एकमात्र तरीका है जिससे भूमिहीनों के जीवनस्तर में सुधार किया जा सकता है.’
सिंह ने कहा कि पंचायती राज संस्थानों को वह केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए कमर कसनी होगी जो उन्हें इस योजना के तहत सौंपी गई है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पंचायतों को संसाधन मुहैया कराने होंगे तभी वे अपनी भूमिका प्रभावी ढंग से निभा सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘यदि ये स्थानीय संस्थाएं इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए अपने को ढाल लें तो मनरेगा ग्रामीण भारत के नवीकरण के लिए एक गारंटी समाधान बन सकता है.’
सिंह ने कहा कि कार्यान्वयन एजेंसियों को अभिनव और स्थानीय जरुरतों के लिए संवेदनशील बनने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते और अधिक लचीला और सामुदायिक आधारित दृष्टिकोण अपनाना सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने लिंग समानता के मुद्दे का उल्लेख करते हुए कहा कि एक अध्ययन के मुताबिक मनरेगा के चलते ग्रामीण महिलाओं में एक मौन क्रांति हो रही है
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘वेतन असमानता में कमी आ रही है तथा महिलाएं कार्य करने और बैंक, डाकखानों तथा सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत करने के लिए और अधिक सामने आ रही हैं. इससे उनका आत्मविश्वास आश्चर्यजनक रूप से बढ़ा है तथा इससे घर के वित्तीय मामलों में उनका दखल बढ़ा है.’
इस मौके पर रमेश ने कहा कि लेखा जांच, जांच और समीक्षा होती है लेकिन ये समवर्ती लेखा परीक्षण का जगह नहीं ले सकती. उन्होंने आशा जतायी कि योजना आयोग में उनके प्रस्ताव को पारित करने के लिए समर्पित नेटवर्क में रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि समवर्ती लेखापरीक्षा स्वंतत्र मूल्यांकन कार्यालय द्वारा किया जाना चाहिए जिसे योजना आयोग के तहत स्थापित किया जाना चाहिए.