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NRHM घोटाला: बाबू सिंह कुशवाहा गिरफ्तार

सीबीआई ने उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और बसपा के विधायक राम प्रसाद जायसवाल को राज्य के करोड़ों रूपयों के ‘राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन’ घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया.

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बाबू सिंह कुशवाहा
बाबू सिंह कुशवाहा

सीबीआई ने उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और बसपा के विधायक राम प्रसाद जायसवाल को राज्य के करोड़ों रूपयों के ‘राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन’ घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया.

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उत्तर प्रदेश के पूर्व परिवार कल्याण मंत्री कुशवाहा और बसपा विधायक जायसवाल एनआरएचएम घोटाले में गिरफ्तार होने वाले पहले नेताओं में हैं. यह घोटाला 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का है.

एनएचआरएम के तहत यह कोष केंद्र ने आवंटित किया था. सीबीआई सूत्रों ने बताया कि कुशवाहा और जायसवाल को गाजियाबाद में एक विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया गया, जहां इन दोनों को 10 दिनों के लिए सीबीआई रिमांड में भेज दिया गया.

उधर, भाजपा ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश में मतदान के समापन के दिन कुशवाहा की गिरफ्तारी यह दिखाती है कि कांग्रेस सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है.

अभी तक सीबीआई ने इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें एक सेवानिवृत महानिदेशक (परिवार कल्याण) एसपी राम, राज्य के सार्वजनिक उपक्रम (निर्माण एवं डिजाइन सेवाएं) के महाप्रबंधक पीके जैन और राज्य के सार्वजनिक उपक्रम श्रीट्रोन इंडिया लिमिटेड के सेवानिवृत महाप्रबंधक जीके बत्रा शामिल हैं.

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सीबीआई ने कुशवाहा और जायसवाल को आज यहां अपने मुख्यालय में विस्तृत पूछताछ के लिए बुलाया था. कुशवाहा और जायसवाल को गिरफ्तार करने से पहले करीब चार घंटे तक पूछताछ की गई. कुशवाहा को पिछले साल दिसंबर में बहुजन समाज पार्टी से निकाल दिया गया था.

सीबीआई सूत्रों ने यहां बताया कि कुशवाहा 13.4 करोड़ रुपये की लागत से 134 जिला अस्पतालों के उन्नयन कराने के मामले में आरोपी हैं. सीबीआई प्रवक्ता धारिणी मिश्रा ने बताया कि जांच में अभी तक यह खुलासा हुआ है कि यह काम गाजियाबाद स्थित एक निजी कंपनी को फर्जी और जाली दस्तावेजों के आधार पर सौंपा गया. अस्पतालों में जो सामग्री लगाई गई उन्हें निम्न कोटि और दोयम दर्जे का पाया गया.

एनआरएचएम कोष से 370 करोड़ रुपये के खर्च में अनियिमितता के मामले में जांच एजेंसी ने अब तक 12 मामले दर्ज किए हैं. सूत्रों ने बताया कि अस्पतालों के उन्नयन का कार्य मेसर्स सर्जियोक्वाइन (गाजियाबाद की कंपनी) को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सौंपा गया और अस्पतालों में लगाई गई सामग्री को दोयम दर्जे का पाया गया.

सीबीआई ने प्रथम दृष्टया पाया कि तत्कालीन मंत्री (परिवार कल्याण) कुशवाहा, तत्कालीन प्रधान सचिव (परिवार कल्याण) प्रदीप शुक्ला और विभिन्न पदों पर आसीन अधिकारियों ने निजी ठेकेदारों और विक्रेताओं के साथ मिलकर आपराधिक कदाचार किया है तथा उनकी ओर से साजिश रची गई.

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धारिणी ने बताया, ‘तत्कालीन मंत्री और उनके सहयोगियों की ओर से इन ठेकों के नाम पर भारी मात्रा में रकम अदा की गई. इस मामले में सरकार के खजाने को 5.46 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.’

उन्होंने बताया कि अभी तक हुई जांच से संकेत मिला है कि निविदा कथित तौर पर पूर्व निर्धारित तरीके से कुछ खास निजी कंपनियों को अत्यधिक दरों पर दिया गया, जिसमें निविदा की स्थापित प्रक्रिया का घोर उल्लंघन किया गया और इससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा. उन्होंने बताया, ‘जांच में यह खुलासा भी हुआ है कि चुनिंदा निजी कंपनियों को काफी संख्या में ठेके दिए गए.’

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