देश का विशिष्ट आतंकवाद निरोधक बल एनएसजी पिछले छह महीने से अपने शीर्ष आपरेशन कमांडर के बिना काम कर रहा है क्योंकि गृह और रक्षा मंत्रालय दोनों इस काम के लिए उपयुक्त सैन्य अधिकारी पाने में सक्षम नहीं हो सके हैं.
इंस्पेक्टर जनरल (आपरेशंस) के पद पर नियुक्त पिछले प्रमुख मेजर जनरल आर एस प्रधान को कमांडो बल से पिछले साल 12 जुलाई को वापस बुला लिया गया था. उन्हें उनके तीन साल के निर्धारित कार्यकाल के पूरा होने से पहले ही वापस बुला लिया गया था.
प्रधान 21 जून 2010 को सेना से प्रतिनियुक्ति पर ‘ब्लैक कैट्स’ में शामिल हुए थे.
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि ऐसे समय में जब एनएसजी ने देश के विभिन्न शहरों में अपने क्रैक कमांडो को तैनात कर अपना सुरक्षा जाल फैला लिया है उस स्थिति में शीर्ष कमांडर की अनुपस्थिति संभावित आतंकवादी हमले या विमान अपहरण के प्रयास की स्थिति में बल पर भारी पड़ सकती है.
एक शीर्ष सूत्र ने बताया, ‘गृह मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय के परामर्श से योग्य मेजर जनरल रैंक के किसी अधिकारी को नियुक्त करने के लिए दो बार सूची तैयार की लेकिन इस महत्वपूर्ण पद के लिए वे अब तक उपयुक्त अधिकारी नहीं ढूंढ सके हैं.’
एक शीर्ष सूत्र ने बताया कि एनएसजी के लड़ाकू बल आईजी (आपरेशंस) कमान के तहत हैं और आपरेशंस के मामले में अधिकारी एनएसजी डीजी के बाद दूसरे स्थान पर आता है.
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कुछ समय पहले सेना के एक वरिष्ठ मेजर जनरल के नाम को मंजूरी दी थी लेकिन पदस्थापना अब तक नहीं हुई है. सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्रालय को अब भी चयन पर अपनी सहमति देनी है.
प्रधान के पूर्ववर्ती आईजी (आपरेशंस) मेजर जनरल एस के भारद्वाज को भी सेना मुख्यालय ने एनएसजी में उनके कार्यकाल को संक्षिप्त करते हुए निर्धारित समय से पहले ही बुला लिया था.
सूत्रों ने बताया, ‘इस तरह की प्रवृत्ति का बल की प्रभावकारिता पर असर पड़ता है. एनएसजी पूरी तरह प्रतिनियुक्ति वाला बल है और अगर उसे उपयुक्त अधिकारी नहीं मिलता है तो यह धारदार और सक्षम बल नहीं रह पाएगा.’