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बाबरी विध्वंस पर उदासीन नहीं थे नरसिंहा राव: चंद्रा

पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहा राव के एक वरिष्ठ सहयोगी रह चुके नरेश चंद्रा ने दावा किया है कि बाबरी विध्वंस (6 दिसंबर 1992) के वक्त राव का रवैया उदासीन नहीं था, बल्कि उन्होंने तत्काल कई बैठकें की थीं.

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पी वी नरसिंहा राव
पी वी नरसिंहा राव

पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहा राव के एक वरिष्ठ सहयोगी रह चुके नरेश चंद्रा ने दावा किया है कि बाबरी विध्वंस (6 दिसंबर 1992) के वक्त राव का रवैया उदासीन नहीं था, बल्कि उन्होंने तत्काल कई बैठकें की थीं.

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उन्होंने इन आरोपों को भी खारिज किया कि राव विध्वंस के वक्त अपने पूजा कक्ष में बैठे हुए थे. उन्होंने राव पर लगने वाले ऐसे आरोपों को 'असंगत व हास्यास्पद' करार दिया.

चंद्रा की यह प्रतिक्रिया हाल ही में बाजार में आई दो पुस्तकों में बाबरी विध्वंस के वक्त राव के रवैये पर प्रश्नचिह्न खड़ा करने के संदर्भ में आई है. इनमें से एक कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह की मरणोपरांत प्रकाशित हुई आत्मकथा है, जबकि दूसरी वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर की किताब है.

इन पुस्तकों में दावा किया गया है कि जिस वक्त बाबरी विध्वंस हो रहा था, राव से संपर्क करना मुश्किल था और वह अपने पूजा कक्ष में बैठे हुए थे.

चंद्रा ने राव पर लगे इन आरोपों को हास्यास्पद तथा असंगत करार देते हुए कहा, 'वे (लेखक) किसी अन्य को निशाना नहीं बना सकते, क्योंकि यही बिकेगा. इससे खबर अच्छी बनती है. उन्हें किसी न किसी पर आरोप लगाना होता है.'

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चंद्रा ने हाल ही में कैबिनेट सचिव के पद से इस्तीफा दिया है. वह अमेरिका में राजदूत भी रह चुके हैं. चंद्रा ने माना कि उन्होंने अभी पुस्तकें नहीं पढ़ी है और इन्हें पढ़ने के बाद ही वह आगे कोई बयान देंगे. लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि राव को 'नकारात्मक रूप से पेश करने की आलोचना को लेकर वह स्पष्ट हैं.'

चंद्रा ने कहा, 'प्रधानमंत्री कार्यालय का कोई भी अधिकारी क्या कह सकता है कि वह (राव) विध्वंस के वक्त शांत एवं संयत थे? प्रधानमंत्री एस. बी. चव्हाण (तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री) और माधव गोडबोले (तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव) के लगातार संपर्क में थे.'

उन्होंने कहा, 'यदि उस दिन कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति दिल्ली में नहीं था तो वह स्वयं अर्जुन सिंह (तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री) थे. लोगों ने उसी तरह अपने विचार रखे जैसा वे जानते थे या समझते थे कि वे जानते हैं.'

बाबरी विध्वंस से पहले उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार को बर्खास्त नहीं किए जाने के सवाल पर चंद्रा ने कहा कि यदि राव भाजपा सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लगाते तो विपक्षी दलों के रुख हमलावर हो जाते, क्योंकि कल्याण सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय एकता परिषद को हलफनामा देकर ढांचे की सुरक्षा का आश्वासन दिया था.

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उन्होंने कहा, 'उस वक्त वैधानिक या संवैधानिक रूप से धारा 356 लगाना संभव था या नहीं यह कोई विशेषज्ञ वकील ही बता सकता है.'

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