खुफिया एजेंसियों का कहना है कि भाकपा-माओवादी ने 2012 में सुरक्षाबलों के नक्सल विरोधी अभियान से निपटने के लिए कोबरा, विशेष कार्रवाई बल, विशेष टास्क फोर्स जैसी विशिष्ट इकाइयों को निशाना बनाने की योजना तैयार की है.
खुफिया एजेंसियों से जुडे एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘एजेंसियों की ओर से केन्द्रीय गृह मंत्रालय को इस संबंध में सौंपी गयी एक रपट में कहा गया है कि माओवादी नेतृत्व ने कोबरा, विशेष कार्रवाई बल, आंध्र प्रदेश राज्य खुफिया ब्यूरो, विशेष टास्कफोर्स और कोया कमांडो जैसी विशिष्ट इकाइयों को निशाना बनाने के निर्देश जारी किये हैं.’
कोबरा केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) द्वारा नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए गठित विशेष कमांडो इकाई है, जिसका पूरा नाम ‘कमांडो बटालियन फार रिसोल्यूट एक्शन’ है जबकि कोया कमांडो छत्तीसगढ पुलिस के तहत गठित विशेष इकाई का नाम है, जो नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बनी है.
अधिकारी ने कहा कि भाकपा-माओवादी ने सुरक्षाबलों के नक्सल विरोधी अभियान के खिलाफ ताजा रणनीति तैयार की है और खुफिया एजेंसियों ने आगाह किया है कि वे कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु की आपस में सट रही सीमाओं वाले इलाके में अपना आधार बना रहे हैं.
उन्होंने कहा कि रपट में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि सुरक्षाबलों की ओर से चलाये जा रहे व्यापक अभियानों से निपटने के लिए माओवादियों ने सुरक्षाबलों की कंपनी या बटालियन को तितर-बितर कर, जाल में फंसाकर और फिर सुरक्षाबलों के छोटे समूह या दस्ते पर हमला करने की योजना बनायी है.
बताया जाता है कि माओवादियों की हमलावर फौज ‘पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए)’ को निर्देश दिया गया है कि वह कैडरों की तेजी से भर्ती कर उन्हें हथियारों का प्रशिक्षण दे. रपट में दावा किया गया कि 2011 में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित इलाकों की समीक्षा में खुफिया एजेंसियों ने यह भी जिक्र किया था कि माओवादियों के लिए काम कर रहे संगठनों ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में अपनी गतिविधियां चालू की हैं.
समीक्षा रपट में कहा गया कि नक्सल हिंसा का केन्द्र अब नये इलाकों में फैल रहा है, जिसमें उपरी असम और छत्तीसगढ-ओडिशा सीमा के इलाके प्रमुखता से शामिल हैं. उत्तर प्रदेश (मैनपुरी, अलीगढ और कानपुर जिले) और उत्तराखंड (नैनीताल, अल्मोडा एवं देहरादून जिले) के कुछ हिस्सों में माओवादियों के लिए काम कर रहे संगठनों की गतिविधियों में तेजी की खबर है.
रपट में यह दावा भी किया गया है कि दिसंबर 2011 के पहले सप्ताह में ‘पीएलजीए सप्ताह’ मनाया गया और इस दौरान भाकपा-माओवादी की उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश समन्वय समिति ने कुमाउं क्षेत्र में संगठन से सहानुभूति रखने वालों से कहा कि वे सशस्त्र कृषि क्रान्ति के लिए क्षेत्र में पीएलजीए की इकाई बनायें.
रपट के मुताबिक भाकपा-माओवादी का दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रीय ब्यूरो कर्नाटक के कुछ हिस्सों में अपनी सशस्त्र क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सक्रिय है. ऐसा भी समझा जाता है कि कर्नाटक में वायनाड से मैसूर के बीच जंगल का रास्ता बनाने की योजना है. महाराष्ट्र में माओवादियों का अचानक फिर सक्रिय होना गंभीर चिन्ता का विषय है.
उल्लेखनीय है कि नक्सलियों के साथ संघर्ष में 128 सुरक्षाबलों को अपनी जान गंवानी पडी. इस साल 19 फरवरी तक 26 सुरक्षा जवान (अस्थायी आंकडा) नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान शहीद हुए.