क्या आप बेहद प्रसन्न महसूस कर रहे हैं? यदि इसका जवाब हां है, तो आपको ज्यादा संतुष्ट होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी स्थिति में युवावस्था में मौत होने की आशंका बढ़ जाती है.
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एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने इस संबंध में कई अध्ययनों पर गौर किया कि खुशी का कोई नकारात्मक पहलू भी है. उन्होंने पाया कि जो लोग काफी खुश होते हैं, उनकी अपेक्षाकृत कम उम्र में मौत हो जाती है.
यह जानकारी डेली टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट सामने आयी है. शोधकर्ताओं के अनुसार स्कूलों में जो बच्चे अधिक हंसमुख होते हैं, उनकी मौत उन बच्चों की अपेक्षा जल्दी हो जाती है, जो संकोची होते हैं.
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शोधकर्ताओं के अनुसार इसकी वजह उनका लापरवाह जीवन और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली जीवनशैली आदि हैं. उन्होंने कहा कि उनके मानसिक समस्याओं से ग्रसित होने की भी आशंका होती है. उनके अवसादग्रस्त होने की भी आशंका बनी रहती है और वे अत्यधिक हंसमुख स्वभाव से गहन उदासी में डूब सकते हैं.
शोध के अनुसार अनुचित मौकों पर खुशी का इजहार किए जाने से अन्य लोगों में प्रतिक्रिया हो सकती है और वे नुकसान पहुंचा सकते हैं. अध्ययन में 1920 से ही बच्चों की रिपोर्ट को शामिल किया गया. शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन बच्चों की स्कूली रिपोर्ट में ‘‘बहुत हंसमुख’’ कहा गया था, वैसे बच्चों की अपेक्षाकृत युवा अवस्था में मौत हो गयी.
अपने छात्र जीवन में संकोची स्वभाव वाले तुलनात्मक रूप से अधिक समय जीते हैं. रिपोर्ट में पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने वाले उन सुझावों की आलोचना की गयी है, जिनमें खुश रहने के तरीके बताए जाते हैं. रिपोर्ट के अनुसार ऐसे तरीकों ने अवसाद को बढ़ावा दिया.