बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दलित मुसलमानों को भी अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने की वकालत करते हुए आज कहा कि केन्द्र सरकार यदि इस तरह का प्रस्ताव संसद में लाती है तो उनकी पार्टी इसका समर्थन करेगी.
पटना के श्रीकृष्ण स्मारक भवन में बाबा ए कौम अब्दुल कयूम अंसारी और परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के यौम ए पैदाइश के मौके पर पसमांदा अधिकार सम्मेलन को संबोधित करते हुये नीतीश ने कहा कि जिस तरह से हिंदू के दलित वर्ग के लोगों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया गया है उसी प्रकार से दलित मुसलमानों को भी अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाना चाहिये.
उन्होंने कहा कि इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा संसद में अगर कोई प्रस्ताव लाया जाएगा तो उनकी पार्टी उसका समर्थन करेगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि रंगनाथ मिश्र और सच्चर कमिटी की रिपोर्ट से पता चलता है कि मुसलमानों की शैक्षणिक तथा आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है. उन्होंने कहा कि आजादी के 63 वर्ष बाद भी मुसलमानों की स्थिति से स्पष्ट है कि केन्द्र सरकार अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा रही है.
नीतीश ने कहा कि अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिये देश के चयनित 90 जिले में कार्यक्रम चलाया जाना है और इसके लिए केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा सहायता मुहैया किया जाना है. उन्होंने कहा कि इन जिलों में बिहार के नौ जिले भी चयनित किए गए हैं पर उनमें मात्र दो किशनगंज एवं सुपौल में यह सुविधा करायी जा रही है.
नीतीश ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बाकी सात जिलों के मदरसों में आधारभूत सुविधाओं को बढाने के लिये केन्द्र के पास प्रस्ताव भेजा गया लेकिन केन्द्र ने उसे अस्वीकृत कर दिया. उन्होने कहा कि 1127 मदरसों को अनुदान दिया जा रहा है तथा कुछ और मदरसों को अनुदान देने के लिये चिन्हित करने का आदेश दिया गया है.
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के अलावा जदयू सांसद अली अनवर, नेपाल के पूर्व सांसद महमूद आलम सहित मुस्लिम विद्वान और गणमाण्य लोग उपस्थित थे.