देश की प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्था दारूल उलूम देवबंद ने विवादास्पद लेखक सलमान रश्दी की प्रस्तावित भारत यात्रा को रोके जाने की मांग दोहराते हुए कहा है कि सरकार को इस मामले पर ‘कोताही बरतने की बजाय’ जल्द फैसला करना चाहिए.
दारूल उलूम के कुलपति (मुहतमिम) मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने यह भी कहा कि सरकार देश के मुसलमानों के जज्बात की कद्र करते हुए रश्दी के भारत आने पर पाबंदी लगाए, हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि रश्दी पीआईओ कार्डधारक हैं और किसी को इससे जुड़ी आपत्ति है तो अदालत का रुख कर सकता है.
मौलाना नोमानी ने कहा, ‘सरकार पीआईओ की दलील दे रही है. हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि इस मामले पर कोताही बरतने की बजाय सरकार जल्द फैसला करे. सभी लोग उसके फैसले का का इंतजार कर रहे हैं. यह मुद्दा देश के 22 करोड़ मुसलमानों के जज्बात से जुड़ा है.’
रश्दी इस महीने के आखिर में जयपुर साहित्य महोत्सव में शिरकत करने वाले हैं. इस संबंध में दारूल उलूम देवबंद ने पहले ही केंद्र सरकार से मांग की थी कि रश्दी को भारत आने से रोका जाए.
भारतीय मूल के रश्दी के पास ब्रिटिश पासपोर्ट है और वह पीआईओ (भारतीय मूल का व्यक्ति) कार्डधारक हैं. पीआईओ कार्डधारक होने के कारण उन्हें भारत आने के लिए वीजा की जरूरत नहीं होती है.
पैंसठ वर्षीय रश्दी अपने उपन्यास ‘द सैटेनिक वर्सेज’ को लेकर 1988 मे विवादों में घिरे थे और भारत ने इस किताब पर प्रतिबंध लगा दिया था. ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला खुमैनी ने लेखक के खिलाफ मौत का फतवा जारी किया था.
मौलानी नोमानी ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि इस शख्स (रश्दी) को भारत आने से हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाए. इस पूरे मामले से मुसलमानों के जज्बात जुड़े हैं. सरकार पीआईओ का हवाला नहीं दे सकती. उसके पास 10 तरीके हैं, जिनके जरिए रश्दी को हिंदुस्तान में कदम रखने से रोका जा सकता है.’
यह पूछे जाने पर कि भारत के एक लोकतंत्र है एवं इसमें किसी भी अपनी बात रखने और कहीं भी आने-जाने का अधिकार है तो नोमानी ने कहा, ‘यह हम भी मानते हैं कि हमारा मुल्क एक लोकतंत्र है, लेकिन इसमें सभी के मजहबी जज्बातों के कद्र की बात भी शामिल है. ऐसे में 22 करोड़ लोगों के जज्बातों का खयाल सरकार को करना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार इस मामले पर देश के मुसलमानों के जज्बात की कद्र नहीं करती है, तो फिर आवाम इसका जवाब देगी. हमने लोकतांत्रिक ढंग से अपनी बात रखी है. अब इस पर फैसला सरकार को करना है.’
उधर, इस मामले पर कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि इसे बड़ा मुद नहीं बनाया जाना चाहिए और अगर पीआईओ को लेकर किसी को आपत्ति है तो उसे अदालत का रुख करना चाहिए.