लोकपाल बिल, जो सरकार के लिए शुरू से ही फजीहत का सबब बना हुआ था, वो अब उसके लिए मुसीबत का नाम बन गया है. सरकार ने लोकसभा में ये बिल पास तो करवा लिया. लेकिन इस बिल को संवैधानिक दर्जा नहीं दिला पाई.
जिस खेमे में दिन भर मेज पर तालियां बजती रहीं. वहां अचानक ऐसा मातम सा सन्नाटा क्यों पसर गया. क्यों एक ऐलान से पीएम से लेकर सोनिया गांधी के चेहरे तक पर हवाइयां उड़ने लगीं.
आखिर सरकार ने जैसा भी चाहा लोकपाल वैसा ही बनाया. विपक्ष की बात नहीं मानी फिर भी लोकपाल पास हो गया. इसके बावजूद हार गई सरकार.
दिन भर लोकपाल पर शब्दवार होता रहा. विपक्ष लोकपाल बिल को लेकर धमकी देता रहा. सरकार उसे नजरअंदाज करती रही.
रात 10 बजे के बाद. जब दिन भर की बहस पर सदन का मत जानने का वक्त आया तो शुरू हो गई सियासी हलचल. कई पार्टियां सदन छोड़कर चली गईं और सरकार ने लोकपाल बिल को बड़े आराम से अपने तरीके से पास करवा लिया. लेकिन, राजनीति का गेम तो आखिरी वक्त में भी पलट जाता है. लोकपाल बिल को लेकर भी लोकसभा में वही हो गया.
सरकार लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देना चाहती थी. ये राहुल गांधी का सपना था. इसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत थी. नियम के मुताबिक, सरकार को संसद में मौजूद सदस्यों के दो तिहाई हिस्से की मंजूरी से इसे हासिल करना था.
लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर पाई. लोकपाल को संवैधानिक दर्जा दिला पाने में सरकार नाकाम रह गई. लोकसभा के संख्या-गणित में सरकार के पत्ते कम हो गए और सरकार का ये सबसे अहम संशोधन प्रस्ताव सदन में गिर गया.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तो ये कहकर रह गए कि संसद की व्यवस्था में ऐसा भी होता है. लेकिन सदन के नेता और वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी अपनी खीझ को रोक नहीं पाए. प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘हम चाहते थे कि एक सशक्त लोकपाल बिल आए. संविधान के तहत वो चले. लेकिन विपक्ष के रवैये, खासकर बीजेपी की वजह से ये प्रस्ताव संसद में पास नहीं हो पाया.’
जाहिर है अब सवाल तो उठने ही लगे हैं कि आखिर सरकार के साथ ऐसा कैसे हो गया. दबाव भी बनने लगे हैं कि जब सरकार सदन में एक संशोधन पास नहीं करा सकती तो फिर किस काम की है ये.
इसके बाद विपक्ष का शुरू हुआ हमला और उसने सरकार से मांगा इस्तीफा. जाहिर है, अब सरकार पर दोहरी मुसीबत है. राज्यसभा से बिल को पास करवाना और विपक्ष के जबरदस्त हमले को झेलना.
मंगलवार तक सवाल ये था कि क्या होगा लोकपाल का. लेकिन, आज सवाल ये बन गया है कि क्या होगा सरकार का.