लगातार तीसरे वर्ष देश में मानसून सामान्य रहने की भविष्यवाणी की गई है. इससे अच्छी फसल के लिये इंद्रदेवता की कृपा पर निर्भर लाखों किसानों को एक बार फिर राहत मिली है.
पृथ्वी विज्ञान मंत्री विलासराव देशमुख ने कहा, ‘इस साल मानसून सामान्य रहेगा.’
उन्होंने कहा कि इस साल 47 प्रतिशत संभाव्यता मानसून सामान्य रहने की है जबकि 24 प्रतिशत संभावना इसके सामान्य से कम रहने के बारे में है.
मानसून की वर्षा देश में चावल, सोयाबीन, कपास और मक्का जैसी खरीफ मौसम की फसलों के लिये काफी महत्वपूर्ण होती है. देश में आज भी 60 प्रतिशत कृषि भूमि सिंचाई के लिये वर्षा पर ही निर्भर है.
जना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन ने इस संबंध में कहा कि कृषि क्षेत्र की वृद्धि 3.5 प्रतिशत बने रहने की उम्मीद है और यह इससे भी अधिक रह सकती है.
देश में फसल वर्ष 2011-12 के दौरान खाद्यान्नों का रिकॉर्ड 25 करोड़ 25 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है जबकि इससे पिछले वर्ष यह 24 करोड़ 47 लाख टन रहा था.
देशमुख ने कहा, ‘मात्रात्मकता के लिहाज से मानसून की वर्षा दीर्घकालिक औसत का 99 प्रतिशत तक रहती है, हालांकि, इसमें पांच प्रतिशत की घटबढ़ रह सकती है.’ लंबी अवधि का औसत यानी एलपीए पूरे देश के लिये समग्र आधार पर 89 सेंटीमीटर रखा गया है. देश में पिछले 50 साल की वष्रा का औसत भी यही रहा है.
मानसून पूर्वानुमान के मुद्दे पर हालांकि, मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि दो मानकों के स्तर पर आकलन मानसून के लिये ज्यादा अच्छा नहीं है. पहली संभावना विषुवत मध्य प्रशांत सागर क्षेत्र के गर्म होने को लेकर है और दूसरी संभावना यूरोएशियन क्षेत्र में सामान्य से अधिक बर्फीला आवरण होने को लेकर है.
राष्ट्रीय जलवायु केन्द्र के निदेशक और प्रमुख मानसून भविष्यवक्ता डी. शिवनंदा ने कहा, ‘मानसून और यूरेशियन बर्फीले आवरण के बीच विपरीत संबंध हैं.’
उन्होंने कहा कि भारत में अच्छी वर्षा से संबंध रखने वाला कमजोर ला.नीना करीब करीब समाप्त होने को है और वैज्ञानिकों को लगता है कि पूरे मानसून सत्र के दौरान परिस्थितियां अप्रभावित रहेंगी.
भारत को वर्ष 2009 में सूखे का सामना करना पड़ा था. इस वर्ष मध्य प्रशांत सागर के गर्माने से मानसूनी वर्षा प्रभावित हुई थी. उसके बाद के सालों में वर्षा दीर्घकालिक औसत के दायरे में रही, इसमें ला.नीना जो कि मध्य प्रशांत सागर को ठंडा रखती है से मदद मिली.
मौसम विभाग अब जून में मानसून का पूर्वानुमान लगाकर आगे की स्थिति के बारे में जानकारी देगा.
इस बीच, सरकार ने पिछले सप्ताह ही सूखे की स्थिति से निपटने के लिये वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में प्राधिकृत मंत्री समूह का गठन कर दिया. प्राधिकृत मंत्री समूह को स्थिति की समीक्षा करने, नीतिगत मुद्दों पर त्वरित निर्णय लेने तथा सूखा और संबंधित मुद्दों के प्रभावी प्रबंधन का अधिकार दिया गया है.