नार्वे में भारतीय मूल की एक दंपति ने तीन महीनों बाद एक बाल कल्याण गृह में मौजूद अपने दो बच्चों से मुलाकात की. देखभाल में कथित तौर पर लापरवाही बरतने के कारण इन मासूमों को कल्याण गृह में ले जाया गया था और इस मामले ने खूब तूल पकड़ा.
भारतीय मूल के अनुरूप और सागरिका भट्टाचार्य अपने दोनों बच्चों अभिज्ञान (3) और ऐश्वर्या (1) से दो घंटों तक मुलाकात की. यह दंपति तीन महीनों के अंतराल के बाद अपने बच्चों से मिला है.
ये दोनों बच्चे नार्वे के स्टावेंजर शहर एक बाल कल्याण गृह में हैं. बच्चों से मुलाकात के दौरान उनके एक अन्य रिश्तेदार एवं सामाजिक कार्यकर्ता अरूणाभाश भी मौजूद थे.
बच्चों से मुलाकात करने से खुश अनुरूप ने कहा कि हमारे बच्चे हमें देखकर खुश थे. यह मुलाकात बहुत अच्छी थी. अभिज्ञान मुझसे लिपट गया. इसकी कमी मैं तीन महीनों महसूस कर रहा था. उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए कुछ भारतीय पकवान ले गया था. उन्होंने कहा कि वह और उनकी पत्नी ने बच्चों के साथ खेला. भावुक सागरिका ने कहा कि वे अपने बच्चे को जल्द से जल्द वापस पाना चाहते हैं और इसके बाद वे भारत लौट जाएंगे.
इससे पहले स्टावेंजर में बाल कल्याण सेवा ने कहा कि पश्चिम बंगाल के दोनों बच्चे कल्याणघर में ढंग से रह रहे हैं और देश के बाल एवं सामाजिक कल्याण बोर्ड के निर्णय के मुताबिक उनके अभिभावकों को उनके साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिलता है. बच्चों को सौंपने का फैसला मार्च तक हो सकता है.
बाल कल्याण सेवा के प्रमुख गुन्नार टोरेसेन ने एक बयान में कहा कि बाल कल्याण सेवा का उद्देश्य यह आकलन करना है कि नार्वे के कल्याण गृह में रखे गये दोनों बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी क्या बच्चों के पिता के भाई को दी जा सकती है या नहीं.
अगर बाल कल्याण सेवा इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी उनके चाचा को दी जा सकती है तो एक व्यवस्था बनाई जाएगी ताकि सुनिश्चित किया जाए कि भारत लौटने पर बच्चों की जरूरतें पूरी हो सकें. उन्होंने कहा कि इससे भारत में भविष्य में दोनों बच्चों की वित्तीय स्थिति भी स्पष्ट हो सकेगी.