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नार्वे कोर्ट ने भारतीय बच्‍चों का संरक्षण चाचा को सौंपा

नार्वे की एक अदालत ने दो अनिवासी भारतीय बच्चों का संरक्षण उनके चाचा को सौंप दिया. इसके साथ ही महीनों से चला आ रहा यह बहुचर्चित विवाद समाप्त हो गया.

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नार्वे की एक अदालत ने दो अनिवासी भारतीय बच्चों का संरक्षण उनके चाचा को सौंप दिया. इसके साथ ही महीनों से चला आ रहा यह बहुचर्चित विवाद समाप्त हो गया.

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इस दौरान भारत ने नार्वे पर राजनयिक दबाव भी डाला, ताकि बच्चों को वापस भेजा जा सके.

चाइल्ड वेलफेयर सर्विस ने कहा कि स्टैवन्गर जिला अदालत ने बच्चों का संरक्षण उनके चाचा को सौंपने का आदेश दिया. सर्विस ने कहा कि जैसे ही जरूरी व्यवस्थाएं पूरी हो जाती हैं, बच्चे अपने चाचा के साथ भारत रवाना हो जाएंगे.

सर्विस ने कहा कि बच्चों के संबंध में संयुक्त आवेदन सौंपे जाने के बाद अदालत ने अभिज्ञान (तीन) और ऐश्वर्य (एक) का संरक्षण उनके चाचा अरूणभास भट्टाचार्य को सौंप दिया.

सर्विस के स्थानीय प्रमुख गुन्नार टोरेसन ने भारतीय अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि विभिन्न पक्षों के बीच समझौता हो गया. सुनवाई के दौरान भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद थे.

अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बच्चों के पिता अनुरूप ने कहा, ‘बड़ी राहत...मैं नहीं कह सकता कि मैं कितना अच्छा महसूस कर रहा हूं. मैं इस दिन की प्रतीक्षा कर रहा था.’

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उन्होंने कहा कि उनसे कहा गया है कि वह बच्चों के साथ भारत नहीं जाएं. इस वजह से वह कुछ समय तक नार्वे में ही रहेंगे.

इस मामले में कई उतार-चढ़ाव आए और अभिभावकों के बीच तलाक की स्थिति जैसी खबर आने के बाद मार्च में अदालत ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी थी. बाद में बच्चों के माता पिता ने इससे इनकार किया था.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले महीने सोल में आयोजित परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन के दौरान नार्वे के अपने समकक्ष के साथ यह मुद्दा उठाया था.

भारत का शुरू से यह रुख रहा था कि बच्चों को वापस अपने देश भेजे जाने की आवश्यकता है.

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