नार्वे में भारतीय दंपत्ति से अलग किए गए बच्चों को वापस सौंपने में भारतीय कूटनीति ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है. ओस्लो की बाल कल्याण सेवा ने मंगलवार को कहा कि देखरेख में लिए गए दोनों बच्चों को वह उनके चाचा को सौंप देगा.
मामले को शीघ्र निपटाने के लिए नार्वे पहुंचे भारत के विशेष दूत ने वहां के अधिकारियों से बातचीत की है. वहीं, बाल कल्याण सेवा के फैसले पर बच्चों के दादा-दादी ने खुशी का इजहार किया है.
वेबसाइट 'द लोकल डॉट नो' के मुताबिक सत्वानगर स्थित बाल कल्याण सेवा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, 'दोनों भारतीय बच्चों को उनके चाचा को सौंपने का निर्णय लिया गया है ताकि वह बच्चों को वापस भारत ले जा सकें.'
नार्वे के अधिकारियों के इस फैसले पर भारत में बच्चों के दादा-दादी ने खुशी जताई है. बच्चों को उनके परिवार को सौंपने की मांग को लेकर दादा-दादी ने सोमवार से नई दिल्ली में चार दिनों का विरोध-प्रदर्शन शुरू किया है.
इसके पहले दिन में नोर्वे में अपने अभिभावकों से दूर रहने के लिए मजबूर किए गए दो बच्चों के दादा-दादी ने मंगलवार को विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा से मुलाकात की. कृष्णा ने आश्वासन दिया कि दोनों भाई-बहन तीन वर्षीय अभिज्ञान और एक वर्षीया एश्वर्या को किसी भी कीमत पर वापस लाया जाएगा.
नोर्वे के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए बच्चों के दादा मंतोष चक्रबर्ती ने कहा कि वह इस पहल से खुश हैं.
उन्होंने कहा, 'हम यही चाहते हैं कि बच्चे अपने परिवार में शीघ्र वापस आ जाएं.'
बच्चों के दादा-दादी के साथ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की नेता वृंदा करात भी कृष्णा के कार्यालय पहुंची थीं. इससे एक दिन पहले ही उन्होंने इस मुद्दे पर चार दिवसीय धरने की शुरुआत की थी.
दादा मंतोष चक्रवर्ती ने बताया कि विशेष भारतीय दूत, सचिव (पश्चिम) एम.गणपति को मामले को सुलझाने के लिए नार्वे भेजा गया है. वह बुधवार को भारत लौटेंगे.
करात ने कहा कि गणपति की ओस्लो से वापसी के बाद ही पता चल सकेगा कि उनकी बैठक का क्या नतीजा रहा. उन्होंने कहा कि कृष्णा का कहना था कि दूत की नार्वे में बैठक सकारात्मक रही है.
ओस्लो में गणपति ने नार्वे के विदेश मंत्री जोनास गार स्टोर से मुलाकात की और उनसे तीन वर्षीय अभिज्ञान व एक वर्षीया ऐश्वर्या की जल्द वापसी के लिए कहा.
उल्लेखनीय है कि पिछले मई में बाल कल्याण सेवा ने एनआरआई दंपत्ति अनुरूप व सागारिका भट्टाचार्य के दोनों बच्चे को अपनी सुरक्षित देखभाल में ले लिया था. संस्था का कहना था कि बच्चों के अभिभावक उनकी उचित देखभाल नहीं कर पा रहे हैं.