बोलने के तरीके से पता चलता है कि किसी व्यक्ति में अवसाद किस हद तक है और उपचार का उस पर क्या असर हो रहा है. यह खुलासा एक अध्ययन में हुआ. एक अध्ययन में पता चला कि अवसादग्रस्त रोगी के उपचार से होने वाले सुधार का पता फोन पर उसकी आवाज सुनकर लगाया जा सकता है.
विज्ञान पत्रिका बायोलॉजिकल साइकिएट्री की एक रपट के मुताबिक आस्ट्रेलिया के मेलबॉर्न विश्वविद्यालय के स्पीच न्यूरोसाइंस यूनिट के प्रमुख एडम वोगेल ने कहा कि बोलने के तरीके से मस्तिष्क के स्वास्थ्य का काफी हद तक पता चलता है.
वोगेल ने कहा, ‘अवसादग्रस्त व्यक्ति जब उपचार से गुजरता है, तो उसके बोलने के तरीके में बदलाव आता है. यदि उस पर उपचार का असर होता है तो वह थोड़ी तेजी से बोलता है और बीच-बीच में वह अपेक्षाकृत कम समय के लिए रुकता है. लेकिन अधिक अवसादग्रस्त व्यक्ति धीरे बोलता है और बीच-बीच में वह अधिक समय तक रुकता है.’
अनुसंधानकर्ताओं ने अपने अध्ययन में 105 रोगियों को शामिल किया था. रोगियों को एक स्वचालित मशीन से कुछ पूर्वनिर्धारित मुद्दों पर बात करनी थी और अपने बोलचाल के नमूने देने थे.
इस अनुसंधान में वोगेल के एक साथी और अमेरिका के विस्कान्सिन के सेंटर फॉर साइकॉलॉजी कंसल्टेशन के वैज्ञानिक जेम्स मुं ने कहा, ‘इस अध्ययन निष्कर्ष से अब गांवों में रहने वाले रोगियों की स्थिति को भी दूर से ही समझा जा सकता है.’
मुं ने कहा, ‘हमें पता है कि अवसादग्रस्त लोगों को खुद को अभिव्यक्त करने में कठिनाई होती है. इसलिए यदि हमें पता हो कि अवसाद में कमी या वृद्धि का पता कैसे चले, तो हम यह भी समझ सकते हैं कि इसका उपचार किस तरह से होगा.’