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सुरक्षा की गारंटी है परमाणु हथियार से मुक्तिः PM

दक्षिण कोरिया की राजधानी में दो दिवसीय परमाणु सुरक्षा सम्मेलन के आखिरी दिन मंगलवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि परमाणु हथियार से मुक्त दुनिया ही परमाणु सुरक्षा की सबसे बड़ी गारंटी है.

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मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह

दक्षिण कोरिया की राजधानी में दो दिवसीय परमाणु सुरक्षा सम्मेलन के आखिरी दिन मंगलवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि परमाणु हथियार से मुक्त दुनिया ही परमाणु सुरक्षा की सबसे बड़ी गारंटी है.

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सम्मेलन के बाद संयुक्त बयान में भी इस बात पर जोर दिया गया कि परमाणु सुरक्षा से सम्बंधित मुद्दों को संगत तरीके से निपटाया जाए, ताकि परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके.

सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ‘मार्च 2011 में जापान में सुनामी के कारण फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के क्षतिग्रस्त होने को देखते हुए परमाणु सुरक्षा के लिए संगत उपाय करने होंगे, ताकि परमाणु सुरक्षा एवं परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके.’

इससे पहले सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ‘परमाणु हथियार विहीन दुनिया के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी परमाणु हथियार सम्पन्न देशों को शामिल करते हुए एक बहुपक्षीय ढांचे की जरूरत है जो इसके प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करे.’

इस सम्बंध में उन्होंने देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की करीब 25 वर्ष पुरानी कार्ययोजना का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वह कार्ययोजना इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए आज भी सबसे समग्र एवं व्यापाक योजना है.

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प्रधानमंत्री ने कहा कि हालांकि परमाणु सुरक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी राष्ट्र की होती है लेकिन टिकाऊ और प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से इसे और मजबूत किया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘अंतर्राष्ट्रीय वैश्विक परमाणु सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने में आईएईए की केंद्रीय भूमिका है और मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत आईएईए के परमाणु सुरक्षा कोष में वर्ष 2012-13 में 10 लाख अमेरिकी डॉलर की सहायता करेगा.’

संयुक्त बयान में यह भी कहा गया कि परमाणु सुरक्षा को मजबूत बनाने के उपायों से परमाणु विकास एवं परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल से सम्बंधित विभिन्न देशों के अधिकारों पर कोई असर नहीं होगा.

परमाणु आतंकवाद के प्रति चिंता जताते हुए इसमें कहा गया कि यदि अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है. इस खतरे से लड़ने के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी उपाय व सहयोग की आवश्यकता है.

वैश्विक परमाणु सुरक्षा ढांचे के निर्माण पर बयान में उम्मीद जताई गई कि कंवेंशन ऑन द फिजिकल प्रोटेक्शन ऑफ न्यूक्लियर मटेरियल (सीपीपीएनएम) और इंटरनेशनल कंवेंशन फॉर द सप्रेशन ऑफ एक्ट्स ऑफ न्यूक्लियर टेररिज्म (आईसीएसएएनटी) जैसे बहुपक्षीय साधनों को वैश्विक स्तर पर अपनाया जाएगा. इसमें यह भी उम्मीद जताई गई कि सीपीपीएनएम में संशोधन वर्ष 2014 तक पूरा हो जाएग.

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बयान में दुनिया के देशों से यह भी अपील की गई कि वे वर्ष 2014 तक उच्च प्रसंस्कृत यूरेनियम का कम से कम इस्तेमाल करें.

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