अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक विदेशी नेता के माध्यम से ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खमेनी को भेजे एक गुप्त संदेश में संकेत दिया है कि ईरान असैन्य परमाणु कार्यक्रम चला सकता है, बशर्ते कि वह परमाणु हथियार कभी न बनाए. यह जानकारी एक मीडिया रिपोर्ट में सामने आई है.
समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, 'राष्ट्रपति ओबामा ने ईरान को संकेत दिया है कि अमेरिका तेहरान के असैन्य परमाणु कार्यक्रम को स्वीकार कर लेगा, बशर्ते कि सर्वोच्च नेता अली खमेनी हाल में किए अपने उस सार्वजनिक दावे पर अटल बने रहें कि उनका देश कभी भी परमाणु हथियार नहीं बनाएगा.'
खमेनी ने हाल में कहा था, 'ईरान ने न कभी परमाणु हथियार बनाया है और न कभी बनाएगा. ईरान परमाणु हथियार नहीं चाहता, क्योंकि यह इस्लामिक गणराज्य तार्किक रूप से, धार्मिक रूप से और सैद्धांतिक रूप से परमाणु हथियार जमा करने को भयानक पाप मानता है और इस तरह के हथियारों के प्रसार को मूर्खतापूर्ण, विनाशकारी और खतरनाक मानता है.'
अखबार ने कहा है कि खमेनी को यह मौखिक संदेश तुर्की के प्रधानमंत्री रेसेप तईप एरडोगन के माध्यम से भेजा गया था, जिन्होंने हाल ही में ओबामा से मुलाकात की थी और बाद में वह तेहरान गए थे.
रिपोर्ट में कहा गया है, 'तेहरान की यात्रा से कुछ दिनों पहले एरडोगन ने ओबामा से सियोल में एक घंटे मुलाकात की थी, और उस दौरान दोनों नेताओं ने उस संदेश पर चर्चा की थी, जिसे एरडोगन को परमाणु व सीरिया सम्बंधी मुद्दे पर अयातुल्ला से कहना था.' रिपोर्ट में कहा गया है कि मुलाकात के दौरान ओबामा ने एरडोगन से कहा था कि ईरान को समझना चाहिए कि किसी शांतिपूर्ण समाधान का समय तेजी से निकल रहा है, लिहाजा उसको बातचीत के लिए मौजूदा रास्ते का लाभ उठाना चाहिए.
रिपोर्ट के अनुसार, लेकिन ओबामा ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या ईरान को घरेलू स्तर पर यूरेनियम सम्वर्धन की अनुमति होगी या नहीं. इस तरह यह संवेदनशील मुद्दा जाहिरतौर पर ईरान और छह अन्य देशों के बीच होने वाली आगामी वार्ता के लिए बचा रहेगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा माना जाता है कि एरडोगन ने ईरान में खमेनी से अपनी मुलाकात के दौरान ओबामा के इस संदेश से उन्हें अवगत करा दिया है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, रूस, चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी 13-14 अप्रैल को इस्तानबुल में ईरान के साथ उसके विवादित परमाणु कार्यक्रम पर चर्चा करेंगे.