अमेरिका और पाकिस्तान के बीच कड़वाहट पूरी तरह खत्म होने की उम्मीदें उस वक्त धूमिल हो गईं, जब राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष आसिफ अली जरदारी से शिकागो में मुलाकात करने से मना कर दिया.
जरदारी तनाव को खत्म करके द्विपक्षीय रिश्ते को नयी दिशा देने की उम्मीद लिए शिकागो पहुंचे थे, लेकिन नाटो के आपूर्ति मार्ग को फिर से खोलने पर सहमति नहीं बन पाई. बीते साल नवंबर में नाटो हमले में अपने 24 सैनिकों के मारे जाने के बाद पाकिस्तान ने नाटो के आपूर्ति मार्ग को बंद कर दिया था.
शिकागो में बीती शाम नाटो सम्मेलन की शुरुआत हुई. ओबामा ने आपूर्ति मार्ग को खोलने पर करार के बिना जरदारी से मिलने से भी इंकार कर दिया.आपूर्ति मार्ग को दोबारा खोलने के बारे में दोनों पक्षों के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि यह शीघ्र नहीं होने जा रहा है.
उधर, इस घटनाक्रम पर व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोन रोडेस ने कहा कि ओबामा इस सम्मेलन को लेकर अत्यधिक व्यस्त होने के कारण जरदारी से मुलाकात नहीं कर पाए हैं.
उन्होंने कहा कि दो द्विपक्षीय बैठकें हुई. राष्ट्रपति हामिद करजई के साथ इसलिए की गयी कि बैठक अफगानिस्तान पर केंद्रित है और नाटो महासचिव के साथ इसलिए कि मेजबान की उनके साथ बैठक करने की परंपरा रही है.
रोडेस कहा, ‘हम किसी अन्य द्विपक्षीय बैठक का अनुमान नहीं लगा रहे हैं. हम पाकिस्तानियों के साथ मुद्दे पर काम जारी रखने जा रहे हैं.’
‘न्यूयार्क टाइम्स’ ने कहा कि नाटो सैनिकों के लिए रसद आपूर्ति मार्ग को दोबारा खोलने को लेकर करार विफल हो गया क्योंकि ओबामा ने अफगानिस्तान में 2013 में नाटो गठबंधन की युद्धक भूमिका को समाप्त करने पर वार्ता शुरू की.
अखबार ने कहा कि जरदारी ओबामा के साथ मिलकर अपना कद बढ़ाने की उम्मीद से शिकागो पहुंचे थे. अब वह खाली हाथ लौटने की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि दोनों देश पिछले साल नवंबर में खतरनाक अमेरिकी हमले के परिणामों को महसूस कर रहे हैं. इस हमले पर ओबामा ने शोक प्रकट किया था लेकिन माफी मांगने से इंकार कर दिया था.
जरदारी ने हालांकि रसद आपूर्ति मार्ग पर चर्चा के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन से मुलाकात की.
विदेश विभाग के एक अधिकारी ने बाद में कहा कि हिलेरी और जरदारी ने नाटो आपूर्ति मार्ग को दोबारा खोलने के महत्व और अफ-पाक क्षेत्र में अलकायदा और हक्कानी नेटवर्क समेत आतंकवादी समूहों के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई करने पर चर्चा की.
अखबार ने पाकिस्तान मुद्दे पर विदेश विभाग के एक पूर्व सलाहकार के हवाले से कहा, ‘अमेरिका और पाकिस्तान के बीच रिश्तों का पूरा मामला माफी मांगने के मुद्दे पर टिक गया है'