अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में अपने प्रतिद्वंदी मिट रोमनी के खिलाफ ओबामा के एक विज्ञापन से जबरदस्त हंगामा मचा हुआ है. विज्ञापन के बहाने भारतीयों की काबिलियत का मज़ाक बनाया गया है.
अपने भारत विरोधी रवैये के लिए बदनाम रहे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत के खिलाफ एक नया दांव खेल दिया है और इस बार ये दांव आया है एक विज्ञापन की शक्ल में. जिसके बाद पूरे भारत से लेकर अमेरिका तक जबरदस्त हंगामा मचा है.
भारत को निशाना बनाते हुए ओबामा ने एक विज्ञापन जारी किया है. हालांकि, यह विज्ञापन ओबामा की राष्ट्रपति पद की एड कैम्पेन का हिस्सा है. लेकिन इस विज्ञापन के बहाने भारतीयों की काबिलियत का मज़ाक बनाया गया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में अपने प्रतिद्वंदी मिट रोमनी के खिलाफ ओबामा ने ये विज्ञापन जारी किया है. राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रिपब्लिकन प्रत्याशी मिट रोमनी पर निशाना साधते हुए उनकी भारत समर्थक नीति की आलोचना की है.
विज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि मेसाचुसेट्स राज्य के गवर्नर रहते हुए रोमनी ने नौकरियों को भारत आउटसोर्स कर दिया. रोमनी के खिलाफ बनाए गए इस विज्ञापन को वर्जीनिया, ओहियो और आयोवा प्रांत में प्रसारित प्रचारित किया जाएगा.
राष्ट्रपति ओबामा ने भी इस विज्ञापन पर अपनी मुहर लगा दी है. इंटरनेट पर ये वीडियो भी जारी हो चुका है और आने वाले चुनाव प्रचार में इस विज्ञापन को जोर-शोर से दिखाने की तैयारी की जा रही है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक ओबामा इस विज्ञापन पर करीब सात लाख 80 हजार डॉलर यानी लगभग चार करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं.
भारतीय समुदाय में इसी विज्ञापन के जारी होने के बाद हंगामा मच गया है. नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में ओबामा एक बार फिर से मैदान में हैं और उनका सीधा मुकाबला रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोमनी से है.
विज्ञापन के जरिए भले ही मिट रोमनी पर निशाना साधा गया हो, लेकिन इसकी मकसद साफ है और वो है अमेरिकी वोटर्स के मन में भारतीयों का डर पैदा करने की कोशिश.
इस विज्ञापन में क्या है?
इस विज्ञापन की शुरुआत होती है ओबामा के गुणगान के साथ. शुरुआत में ही बताया जाता है कि किस तरह ओबामा की ग्रीन एनर्जी की नीतियों ने हजारों अमेरिकी नौजवानों को नौकरियों की सौगात दी.
इसके तुरंत बाद शुरू होता है रिपब्लिकन प्रत्याशी मिट रोमनी के बहाने हिंदुस्तान पर निशाना साधने का सिलसिला. विज्ञापन की अगली लाइन में सवाल पूछा जाता है. व्हाट अबाउट मिट रोमनी? (रोमनी के बारे में क्या ख्याल है)
विज्ञापन बताता है कि कैसे एक कार्पोरेट सीईओ रहते हुए उन्होंने अमेरिकी नौकरियों को मेक्सिको और चीन जैसे देशों में भेज दिया और उसके बाद ओबामा के इस डर्टी एड बम में सीधे सीधे भारत को निशाने पर लिया जाता है. इस विज्ञापन के जरिए भारतीयों का डर अमेरिकी लोगों के दिल में पैदा करने की कोशिश की गई है.
अगली लाइन कहती है कि कैसे गवर्नर रहते हुए उन्हें राज्य सेवाओं की नौकरियों को भारत के कॉल सेंटरों को भेज दिया और वो अब भी उन कंपनियों को टैक्स में राहत देने की बात कर रहे हैं जो नौकरियां आउटसोर्स करेंगी.
मिट रोमनी के बारे में एड कहता है कि उन्होंने अपने स्विस बैंक एकाउंट का खुलासा करने से इनकार कर दिया है. यानी सीधे-सीधे रोमनी पर भारत में नौकरियां देने और आउटसोर्सिंग करने वाली कंपनियों से गुप्त समझौते करने का इल्जाम लगाया गया है.
विज्ञापन की इन्हीं लाइनों ने पूरे भारतीय समुदाय में खलबली मचा दी है.
लोकप्रियता में नीचे गिरे ओबामा को एड का सहारा
बेरोजगारी की आंधी के सामने ओबामा को अपना ताज बचाना मुश्किल लग रहा है. इसके अलावा पांच सालों के अपने कार्यकाल में ओसामा के खात्मे के अलावा ओबामा के पास कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है जिसके सहारे वो अपने चुनाव प्रचार को धार दे सकें.
दरअसल, आने वाले राष्ट्रपति चुनावों के लिए बराक ओबामा के सामने सबसे बड़ा मुद्दा बनकर खड़ी हो गई है बेरोजगारी. बेरोजगारी दूर करने के मुद्दे पर ही ओबामा ने पिछला चुनाव लड़ा था. लेकिन बीते पांच सालों में बेरोजगारी खत्म होने की बजाय बढ़ गई है.
कुछ महीनों पहले के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में बेरोजगारी दर 09 फीसदी थी. अमेरिका के अब तक के इतिहास में इतनी अधिक बेरोजगारी दर के आगे कोई भी राष्ट्रपति टिक नहीं सका है.
यही वजह है कि बेरोजगारी की आंधी के सामने ओबामा को अपना ताज बचाना मुश्किल लग रहा है.
इसके अलावा पांच सालों के अपने कार्यकाल में ओसामा के खात्मे के अलावा ओबामा के पास कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है जिसके सहारे वो अपने चुनाव प्रचार को धार दे सकें.
ऐसे हालात में ओबामा को डर है कि बेरोजगारी की आंधी कहीं उनका ताज न ले उड़े. क्योंकि उनकी लोकप्रियता में भी लगातार कमी आ रही है.
राष्ट्रपति चुनावों को लेकर हाल ही में कराये गये सर्वे में ओबामा को 47 फीसदी लोगों का समर्थन प्राप्त हुआ था जबकि रोमनी को 43 फीसदी का. यानी लोकप्रियता का फासला लगातार कम होता जा रहा है.
इसके अलावा सर्वे में 53 फीसदी मतदाताओं ने कहा कि उनके लिये बेराजगारी और आर्थिक बदहाली बेहद महत्वपूर्ण मुद्दे हैं और यही इस बार के चुनाव की दिशा तय करेंगे. 45 फीसदी मतदाताओं का मानना है कि रोमनी नौकरियों और अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर ओबामा से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.
इन्हीं सर्वेक्षणों के चलते आजकल ओबामा अमेरिका की बेरोजगारी का ठीकरा भारत जैसे देशों पर फोड़ रहे हैं.
नया नहीं है ओबामा का भारत विरोधी राग
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने भारत विरोधी रवैये के लिए पहले से ही बदनाम रहे हैं. इससे पहले भी वो कई बार भारत विरोधी बयान देकर विवादों में बने रहे हैं.
भारत से डर और भारत का विरोध ओबामा की पुरानी फितरत रही है. ये पहली बार नहीं है जब ओबामा ने भारत पर निशाना साधा हो.
साल 2008 में अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के दौरान ही ओबामा ने भारत के विरोध में बोलना शुरू कर दिया था. ओबामा ने अपने चुनाव में आउटसोर्सिंग को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया.
ओबामा ने वोट बटोरने के लिए बार-बार कहा कि आउटसोर्सिंग के वजह से जिन नौकरियों पर अमेरिकियों का हक है वो भारतीयों को मिल रही हैं. ये वो दौर था जब मंदी के कदम अमेरिका पर पड़ चुके थे, लिहाज़ा ओबामा को वोट मिले और वो राष्ट्रपति बन गए.
लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद भी ओबामा की सोच नहीं बदली.
2009 में जब अमेरिका पूरी तरह मंदी के शिकंजे में आ गया और वहां के कारपोरेट वर्ल्ड ने ओबामा की सरकार से आर्थिक सहायता की गुहार की और तब ओबामा ने रखी एक शर्त. जिसके मुताबिक उसी कंपनी को सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता दी जाएगी जो ना तो आउटसोर्सिंग करती हैं और ना ही भविष्य में ऐसा करेंगी.
इसके बाद भी ओबामा बार बार अमेरिकी कंपनियों से अपील करते रहे कि वो भारत से आउटसोर्सिंग ना करें. क्योंकि इससे अमेरिका के अंदर बेरोजगारी बढ़ती है.
लेकिन ओबामा को ये बात कभी समझ में नहीं आई कि आउटसोर्सिंग के ज़रिए भारतीय नौजवान जितनी तनख्वाह में काम करते हैं उसी काम के लिए अमेरिकी नौजवान 10 गुना ज्यादा तनख्वाह मांगते हैं.
जाहिर है ऐसे में जो अमेरिकी कंपनी आउटसोर्सिंग नहीं करेगी वो वक्त के पहले ही बंद हो जाएगी और अमेरिका की माली हालत बद से बदतर हो जाएगी.
लेकिन ओबामा इस बात को कभी समझने को तैयार नहीं हुए यहां तक कि पिछले साल उन्होने भारतीय छात्रों के बारे में जलन से भरा बयान दिया था.
ओबामा ने अमेरिकी स्कूली छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था. हर अमेरिकी छात्र को मन लगा कर पढ़ाई करना चाहिए. नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब आप लोगों की नौकरियां भारतीय छात्र हड़प लेंगे. भारतीय छात्र बहुत काबिल होते हैं और आप लोगों को भी उतना ही काबिल बनना होगा, नहीं तो भविष्य में आपको काफी दिक्कतें होंगी.
ओबामा के इस बयान का हर तरफ विरोध हुआ था. सभी का कहना था कि ओबामा अपने देश के छात्रों के मन में भारतीयों के लिए नफरत पैदा कर रहे हैं. लेकिन ओबामा पर इस विरोध का कोई असर नहीं पड़ा. उनका अगला निशाना था भारत का मेडिकल टूरिज़्म.
दरअसल बड़ी तादाद में अमेरिकी नागरिक भारत में आकर अपना इलाज करवाते हैं. इसकी वजह ये है कि भारत में इलाज काफी सस्ता और कई मायनों में अमेरिका से बेहतर है. जब अमेरिकी अस्पतालों को इससे घाटा होने लगा तो ओबामा ने अपील की कि अमेरिकी नागरिकों को भारत जाकर नहीं बल्कि अमेरिका में ही अपना इलाज करवाना चाहिए.
यानी कुल मिलाकर ओबामा का भारत विरोधी चेहरा कोई नई बात नहीं है, और अब तो चुनाव सिर पर हैं. ओबामा के सिर पर हार मंडरा रही है ऐसे में भारत के खिलाफ बयान देकर वो एक बार फिर वही पुराना दांव चल रहे हैं.