ओडिशा में माओवादियों की ओर से अगवा किए गए दो इतालवी नागरिकों के मामले में संकट और गहरा गया है. ओडिशा सरकार की ओर से दिए गए वार्ता प्रस्ताव पर अब तक माओवादियों की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.
माओवादियों ने 13 बिंदु वाले एक चार्टर के जरिए सरकार के सामने रखी अपनी मांगों को मानने पर जोर दिया है. वाम चरमपंथियों की मांग में यह भी शामिल है कि उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामले वापस लिए जाएं.
बीते 14 मार्च को इतालवी नागरिक पाओलो बॉस्कुस्को और क्लाउडियो कोलांजेलो को माओवादियों ने कंधमाल जिले से अगवा कर लिया था.
इतालवी विदेश मंत्री गियुलियो टेर्जी ने अपने भारतीय समकक्ष एसएम कृष्णा से बात की. कृष्णा ने उन्हें आश्वस्त किया कि ओडिशा सरकार इतालवी नागरिकों को माओवादियों के चंगुल से रिहा कराने की हरसंभव कोशिश कर रही है.
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी माओवादियों से अपील की कि वह बंधकों को तुरंत रिहा कर दें और उन्हें किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाए.
पटनायक ने विधानसभा में कहा कि माओवादियों ने सरकार से बात करने के लिए अपनी ओर से किसी व्यक्ति को नामित नहीं किया है. उन्होंने कहा, ‘जब ऐसा कोई संपर्क होता है तो हम आगे की कार्रवाई करेंगे.’
बीते साल मलकानगिरी के जिलाधिकारी आर. विनील कृष्णा को रिहा कराने के लिए माओवादियों से बात करने वाले तीन मध्यस्थों में से एक दंडपाणि मोहंती ने बरहमपुर में कहा कि यदि दोनों पक्षों की ओर से कहा जाता है तो वह अगवा किए गए दोनों इतालवी नागरिकों की रिहाई में मध्यस्थता कर सकते हैं. दोनों इतालवी नागरिकों को 14 मार्च को ही अगवा कर लिया गया था लेकिन इसकी खबर 17 मार्च को मीडिया के जरिए आयी.
पटनायक ने कहा कि बोसुस्को पिछले 19 साल से भारत में रह रहे हैं. वे ‘ओडिशा एडवेंचरस ट्रेकिंग’ नाम की एक ट्रेवल एजेंसी चलाते हैं, जबकि कोलांजेलो इटली से आए एक पर्यटक हैं.
इस बीच, मानवाधिकार संगठन ‘असोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोकेट्रिक राइट्स’ (एपीडीआर) के महासचिव देवप्रसाद रॉयचौधरी ने कोलकाता में कहा ‘कोई भी अपहरण मानवाधिकार की संकल्पना के खिलाफ है और सरकार से अपनी मांगें मनवाने के लिए बंधक किसी को बंधक बनाना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार के मानदंडों के विपरीत हैं.’
रॉयचौधरी ने माओवादियों से अगवा किए गए इतालवी नागरिकों को तुरंत रिहा कर देने की अपील की.