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दिल्ली की सड़कों पर तापमान के साथ बढ़ता है क्राइम

गर्मियों के दिन शुरू हो चुके हैं, इसलिए वाहन चलाने वाले भी सावधान हो जाएं, क्योंकि ऐसा देखा गया है कि दिल्ली में तापमान बढ़ने के साथ प्रत्येक वर्ष सड़कों पर अपराध भी बढ़ जाते हैं.

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दिल्ली
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गर्मियों के दिन शुरू हो चुके हैं, इसलिए वाहन चलाने वाले भी सावधान हो जाएं, क्योंकि ऐसा देखा गया है कि दिल्ली में तापमान बढ़ने के साथ प्रत्येक वर्ष सड़कों पर अपराध भी बढ़ जाते हैं. आप मानें या न मानें, लेकिन मनोवैज्ञानिकों का तो यही कहना है.

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मनोवैज्ञानिक समीर पारेख ने कहा, 'कई अध्ययनों में पाया गया है कि तापमान बढ़ने के साथ मानसिक तनाव बढ़ जाता है. वाहनों की बढ़ती संख्या, प्रदूषण और शोर इसके कारण हैं. स्पष्ट है कि मानसिक तनाव से कुछ लोगों में आक्रामकता बढ़ जाती है जिससे सड़कों पर अपराध भी बढ़ जाता है.'

उन्होंने कहा, 'गर्मी यानी दमघोंटू मौसम किसी को भी असहिष्णु बना सकता है. वाहन चालकों को इस समस्या से सावधान रहने की जरूरत है. इस समस्या से बचने का उपाय करना चाहिए.'

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार, 2010 की दूसरी तिमाही में वाहन दुर्घटनाओं की अधिकतम संख्या 122,004 थी. उस वर्ष 26.4 फीसदी यानी कुल 461,757 वाहन दुर्घटनाएं हुई थीं.

वर्ष की दूसरी तिमाही यानी अप्रैल, मई और जून में राजधानी में सबसे अधिक गर्मी रहती है. उस वर्ष इस मौसम में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस रही थी.

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पारेख ने कहा कि उस दौरान सड़कों पर गर्मी को मात देने के कई उपाय किए गए थे. उन्होंने कहा, 'गर्मियों में लोगों को कार्य की अधिकता से उत्पन्न तनाव से बचने का प्रयास करना चाहिए. वाहन चालकों को अपना गुस्सा कम करने के लिए अधिक पानी पीना चाहिए तथा कम भीड़ वाले रास्तों से चलना चाहिए और बहुत लम्बी दूरी तक वाहन नहीं चलाना चाहिए.'

पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार में रहने वाले एक इंजीनियर मोहित रंजन ने कहा, 'गर्मियों में यदि कार में एसी न हो तो लोग बेहोश हो सकते हैं. ऐसे में लोगों में चिड़चिड़ापन आ जाना ताज्जुब की बात नहीं है.'

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